गुरुजी कुछ शिष्यों को साथ लेकर बम्बई पहुंचे और हमेशा की तरह सेवा शुरु कर दी। इतने में अचानक उन्होंने संदीप सेठी को बुलाया और आदेश दिया कि वह फौरन कुछ चीजें जैसे नींबू, काली मिर्च, नीम की पत्तियाँ आदि का संग्रह करे और तरल मिश्रण तैयार करे। मिश्रण तो तैयार हो गया, परन्तु किसी को इसके बनाने का कारण मालूम नहीं था। मिश्रण अच्छी तरह से पीस कर तरल की सूरत में शीशे की बोतल में डाल दिया गया। फिर गुरुजी ने बुनाई की सलाई से सबकी आँखों में डालना शुरु कर दिया। यह इतना पीड़ा दायक था कि लोगों की चीखें निकल गई और आँसुओं की धाराएं बहने लगीं।। हममें से किसी को कुछ भी ज्ञान नहीं था कि गुरुजी यह क्या कर रहे थे। फिर जब हमने इसका कारण पूछा तो गुरुजी संजीदा हो गये और कहने लगे, “बेटा मध्य एशिया से कुछ हवाएं इधर आ रही हैं और दो दिन के बाद यहाँ पहुँच जायेंगी। उससे आँखों की एक बीमारी आएगी। उसी की रोकथाम के लिए यह सब पहले से ही कर रहा हूँ। जिन-जिन लोगों की आँखों में यह दवाई डाल दी है उन पर उसका कोई असर नहीं होगा।” …और ऐसा दो दिनों के बाद हुआ। अचानक कई लोगों की आँखें लाल हो गयी और कोई भी कारण और बीमारी का नाम समझ नहीं आया। डॉक्टरों को सतर्क कर दिया गया
और लोगों को बीमारी से बचाने के लिए बहुत से उपचार किये गये। बाद में यह पूरे देश में फैल गया और इसे ‘नजर फ्लू’ ‘Eye Flu’ के नाम से जाना गया। कई लोगों को इसका सामना करना पड़ा, लेकिन गुरुजी के वे भक्त सुरक्षित थे जिन्होंने गुरुजी के तरल का इस्तेमाल किया था। उन्होंने उनको इस मुसीबत से पूरी तरह से दूर रखा। अद्भुत—– गुरुजी “नजर फ्लू” “Eye Flu” के आगमन के बारे में पहले से जानते थे और उससे लड़ने के लिए आध्यात्मिक चिकित्सा से मिक्सचर का निर्माण भी कर दिया।
— धन्य हैं गुरुदेव आप।
…….कोटि कोटि प्रणाम।