उन दिनों जब गुरुजी ऑफिस के काम से टूअर लगाते थे तो अक्सर हिमाचल प्रदेश में ज़्यादा जाते थे। इसी तरह एक बार उन्होंने हिमाचल के एक छोटे से नगर में अपना कैम्प लगाया। कुछ दिनों बाद एक तांत्रिक जो उस इलाके में काफी प्रसिद्ध था, गुरुजी के कैम्प में आया और भक्ति के बारे में चर्चा करने लगा। चर्चा के दौरान उसने अपनी इच्छा शक्ति का जिक्र किया और गुरुजी को प्रभावित करने हेतु कहने लगा कि वह जब चाहता है शराब की बोतलें अपने आप उसके पास चली आती हैं।
बातों-बातों में उसके मुख से निकल गया के एक के बाद दूसरी और फिर, कभी-कभी तो तीसरी बोतल भी पी जाता है और उस पर कोई असर नहीं होता।
उसे पता नहीं था कि सुनने वाला कौन है …शायद उसने समझा था कि कोई सरकारी अधिकारी (Government Officer) है, जिसे भगवान की भक्ति का शौक है। वह तो सोच रहा था कि शराब का नाम सुन कर गुरुजी उसकी वाह-वाही करेंगे, लेकिन असर कुछ उल्टा ही हो गया। उसने गुरुजी को अपने स्थान पर आमंत्रित किया, जिसे गुरुजी ने स्वीकार कर लिया।
कुछ समय के बाद गुरुजी उसके स्थान पर पहुंच गए। वह खुशी से झूम उठा और कहने लगा, “बताईये क्या पीयेंगे…?” गुरुजी कहने लगे, “आज हम पिलायेंगे आपको।”
…और उन्होंने अपनी जेब से एक छोटी सी बोतल निकाली और उसमें से थोड़ी सी एक गिलास में डाल कर उसे दी। गिलास हाथ में लेकर वह हंस पड़ा… कहने लगा, “यह क्या…!! इससे तो मेरी दाड़ भी गीली नहीं होगी…” गुरूजी ने कहा कि पहले पी कर तो देखो… क्या है ये…!! …और वो एक ही घूट में पी गया।
अभी एक मिनट भी नहीं बीता था कि वह झूम उठा और गिरने जैसा लगने लगा और कहने लगा, “अरे यह क्या हुआ मुझे…? दो-दो बोतल पीने वाला, इतनी सी भी नहीं पचा सका,…यह क्या कर दिया आपने मुझे….?
……कौन हैं आप..?”
गुरूजी ने कहा, “आप एक भक्त हैं और आने वाले समय में इतनी ज़्यादा शराब आपका नाश कर देगी। आपके जीवन रक्षा हेतु ही मैंने ऐसा किया है, भविष्य में आप इससे ज्यादा कभी भी नहीं पी सकेंगे।”
…और फिर ऐसा ही हुआ, वह कभी भी उससे ज़्यादा शराब नहीं पी सका। इस तरह, गुरूजी ने एक ईश्वर के भक्त के जीवन और भक्ति-पथ की रक्षा की…..
….धन्य हैं गुरुदेव आप।
यह आपकी महिमा है कि आपने एक अनजान व्यक्ति को भटकने से इसलिए बचा लिया क्योंकि वह एक ईश्वर भक्त था।