एक बार मैं और मेरे अलावा श्री आर. पी. शर्मा, एफ. सी. शर्मा जी व नदौन के संतोष तथा और भी कई शिष्य, रात को गुड़गाँव स्थान पर रुके। करीब मध्य रात्रि तक हम सब गुरुजी के पवित्र चरणों में उनकी कृपा का आनन्द लेते रहे। अगले दिन सुबह-सुबह, एफ, सी, शर्माजी मेरे पास आकर बोले कि सन्तोष के पेट में असहनीय दर्द हो रहा है। वह दर्द के कारण, कारपेट पर इधर-उधर लोट रहा है। मैं चाहता हूँ कि गुरूजी को इसी वक्त जगा दूं। लेकिन दुविधा में हूँ कि यदि मैंने ऐसा किया तो गुरूजी गुस्सा करेंगे।
सन्तोष की ऐसी हालत देख मैंने गुरुजी के कमरे का दरवाजा खटखटा दिया। गुरुजी बाहर आये और संतोष की हालत सुनकर साथ वाले छोटे कमरे में चले गये और सन्तोष को देखते ही अपना एक हाथ उसकी कमर और दूसरा उसके पेट पर रखा और एक मिनट के अन्दर ही संतोष का पेट दर्द गायब हो गया।
वाह गुरुजी………!!
गुरुजी आप कुछ भी कर सकते हैं, कभी भी कर सकते है, बस चुटकी बजाते ही। इतनी असहनीय दर्द और एक मिनट में ही गायब… गुरुजी, आप परम शक्तिशाली परमेश्वर हो। गुरुजी बोले—–
“बेटा मेरी हथेली में ‘ॐ’ के अलावा और भी बहुत सी शक्तियाँ हैं। मैं छूकर उन शक्तियों को आदेश देता हूँ और आदेश पाकर वह शक्तियाँ मेरा काम कर देती हैं।” “हालाँकि वह शक्तियाँ, भगवान के आदेश और कार्यक्रम के अनुसार ही कार्य करती हैं और व्यक्ति को सुख या दुख देती हैं। यह रहस्य सिर्फ भगवान स्वयं या मैं जानता हूँ। लेकिन दुख या सुख पाने वाला व्यक्ति, इस रहस्य को नहीं जान पाता।” “दुख के समय, जब वह व्यक्ति, मुझसे माँग करता है तो मैं उसे माफ कर देता हूँ और दुख या पीड़ा देने वाली उस शक्ति को आदेश देता हूँ कि वह उसे अपनी पकड़ से मुक्त कर दे और दुख भोगने वाला व्यक्ति, दुख से मुक्त हो जाता है।” परन्तु यह तरीका क्या है यह बिलकुल अज्ञात है। गुरुजी ने हम सब पर दोनों तरफ से आशीर्वादों की वर्षा की——-
सन्तोष का पेट दर्द, एक ही मिनट में दूर
कर दिया और….
सन्तोष का ही नहीं, इस पृथ्वी पर रहने वाले हर एक प्राणी की पीड़ा का रहस्य और इसके साथ-साथ इसका समाधान भी बता दिया और पूर्णतः स्पष्ट कर दिया कि इसका सम्पूर्ण अधिकार सिर्फ गुरुजी के ही पास है।