103. जब गुरुजी ने मुझे बिना शर्त आत्म समर्पण का वरदान दिया।

गुरुजी ने मुझसे पूछा, “…..राज्जे, दो और दो कितने होते हैं?” मैंने उत्तर दिया, “गुरुजी, चार।” गुरूजी बोले, “……नहीं बेटा, पाँच होते हैं।” मैंने सहमति से हाँ कहा और बोला,…

लेखक की कलम से

अविश्वस्नीय झलकियों के भाग-1 व भाग-2 में कुछ झलकियाँ प्रकाशित एवं वितरित करने के बाद कुछ और ऐसी झलकियाँ मुझे स्मरण हो आईं, जिन्हें मेरे सुपर मॉस्टर गुरूजी ने इस…