पंजाबी बाग में सेवा का दिन था। बहुत से लोग एकत्र हुए थे और वह एक-एक करके आशीर्वाद लेने के लिये मेरे पास आ रहे थे। लोगों को इस तरह आशीर्वाद लेने के लिए हमेशा घन्टों इन्तजार करना पड़ता था।
मैं पूर्ण एकाग्रता के साथ, अपनी सेवाकार्य में लीन था। जैसे कि अपनी बारी से मेरे पास आये व्यक्ति की तरफ देखना और उसे आशीर्वाद देने के लिये उसके सिर पर हाथ रखना आदि।
इसी तरह दो लोग मेरे पास आये, लेकिन उन्होंने मेरे पैर नहीं छुए। जैसा और लोग कर रहे थे। (पहले कुछ सालों तक अक्सर लोग ऐसा ही करते थे।)
मैंने इस ओर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया और इसे लापरवाही से लेते हुए अपना हाथ ऊपर उठाया और आशीर्वाद देने के लिये उनमे से एक के सिर पर रखने लगा तो उसने मुझे अपने सिर पर हाथ नहीं रखने दिया और अचानक वह तेजी से पीछे हो गया तथा उसने मेरा हाथ धीरे से पीछे कर दिया। मैंने इस बात पर भी कोई खास ध्यान नहीं दिया। वे बिना मुझसे कुछ कहे, वहाँ से चले गये और इसी तरह शाम तक सेवा चलती रही।
अगले दिन मैं गुरुजी के दर्शन के लिये गुड़गाँव गया। जैसे ही मैंने गुरुजी के पवित्र चरणों में माथा टेका तो अचानक मैंने सुना, “क्यों राज्जे, अब अपने गुरु को भी आशीर्वाद देगा….?” यह आवाज़ गुरुजी की थी।
मैंने ऊपर की तरफ देखा, तो गुरुजी ताना देने की मुद्रा में मुस्कुरा रहे थे और दूसरे लोगों से बात करते हुए कह रहे थे, “देखो अब एक शिष्य अपने गुरू को आशीर्वाद देने लगा था।”
मुझे यह समझ नहीं आया और मैंने गुरुजी से पूछा कि उनके ऐसा कहने के पीछे क्या मतलब है….? क्योंकि ऐसा करने के बारे में तो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था।
गुरुजी बोले, “मैं कल आया था और तेरे सामने बैठा था। तुमने अपना हाथ आगे किया तो मैं पीछे हट गया।”
“…हे भगवान, गुरुजी, वो आप थे…??”
मैंने सोचा तो था कि ये कौन लोग हैं जो आशीर्वाद लेने से पीछे हट गये….!!” मैंने दुबारा पूछा, “साहेब जी, दूसरा कौन था आपके साथ…?” गुरूजी ने बताया, “वह तुम्हारा बड़ा भाई औघड़ था, उसी ने बनाया था तुम्हारे पास जाने का प्रोग्राम। कहता था …चल गुरू, देखें, क्या कर रहा है तुम्हारा चेला…?”
यह गुरूजी का ही तरीका था कि वह अपने आपको छुपा कर अपने शिष्यों के पास जाते थे, जिसका किसी को बिलकुल भी पता नहीं चलता था और न ही कोई उन्हें पहचान पाता था।
अब मैं क्या करूं…? कैसे मैं उन परम-श्रेष्ठ गुरुजी की महिमा का गुणगान करूं, जो स्वयं भगवान हैं और
मनुष्यों की तरह, सब कार्य करते हैं।