एक दिन सुबह-सुबह गुरुजी अपने कमरे में बैठे थे। बिट्टू उनकी सेवा में था। उन्होंने कहा, बेटा मुझे खाना दे दो और फार्म के लिए कुछ लोगों के लिए खाना पैक कर लो, मुझे फार्म पर जल्दी जाना है। सारी तैयारी करने के बाद, बिटू उन्हें बुलाने के लिए आया तो वो ध्यान-मुद्रा में थे। बिट्टू बाहर चला गया और प्रतीक्षा करने लगा।
15 मिनट के बाद वह आया लेकिन अभी भी गुरुजी उसी मुद्रा में ही थे। 15 मिनट बाद वह फिर आया तो गुरूजी ने कहा कि चलो, …अब चलते हैं और पिछले दरवाजे से बाहर चल दिये। बिटू गाड़ी चला रहा था और वे पीछे बैठ गये।
अभी थोड़ी ही दूर गए थे कि बिटू को गाड़ी रोकने का आदेश दिया। सड़क पर एक वृद्ध पति-पत्नी पैदल जा रहे थे। गुरुजी के कहने पर बिटू ने उन्हें गाड़ी में पीछे गुरुजी के साथ ही बैठा लिया और पूछा कि वह कहाँ जा रहे हैं। …उन्होंने कहा कि वो दिल्ली से आये हैं और गुरुजी के दर्शन करने स्थान पर गए थे। बिटू ने पूछा कि क्या गुरुजी मिले…? तो उन्होंने कहा नहीं। वे कहने लगे कि सेवादार ने मिलने नहीं दिया और कहा कि गुरुजी आज किसी से नहीं मिलेंगे। उदास मन से उस वृद्ध ने जवाब दिया।
बिटू से अब रहा नहीं गया और कह उठा कि ये ही तो हैं गुरुजी… जो आपके साथ बैठे हैं। वृद्ध पुरुष भौंचक्का रह गया और एकदम सीट से उतर कर नीचे बैठ गया और पाँव पकड़कर रोने लगा। गुरुजी ने उसे उठाया, सीट पर बिठाया और आशीर्वाद दिया। फिर उन्होंने जेब से पैसे निकाल कर उन्हें दिए और कहा, बेटा, रोना नही। जिस काम के लिए आये हो, वो काम मैंने कर दिया है और बिटू से कहा कि वह उन्हें बस स्टाप पर छोड़ दे।
बस स्टाप पर छोड़ने के बाद गुरुजी कहने लगे, “बेटा, स्थान पर यह बड़ी मिन्नतें करते जा रहे थे और मेरे सेवादार बच्चे ने इन्हें दया से नहीं सुना। अपने कमरे में बैठा हुआ, आधे घंटे से मैं इन्हें ही देख और सुन रहा था और अपने सेवादार बच्चे का रवैय्या नोट कर रहा था। इनके पास दिल्ली जाने के लिए किराया तक नहीं था और दोनों आत्महत्या करने का विचार कर रहे थे। इसी कारण से मैंने इन्हें अपने पास बैठाकर आशीर्वाद के साथ पैसे भी दिए। इन दोनों के कारण ही मैंने आधा घंटा प्रतीक्षा की अपने कमरे में।
…हे गुरुदेव, आप अपने कमरे में बैठकर या लेटकर बाहर का सब-कुछ देख लेते हैं, पर कैसे गुरुजी…? यह सब तो भगवान के अलावा और कोई नहीं कर सकता!
जन्म से लेकर अब तक यही ज्ञान मेरे और बाकी सबके पास है। ईश्वर सबका पालन करता है और सबका ख्याल रखता है। उसकी इस मेहरबानी की वजह से ही हर जीव, सुबह-शाम उसकी स्तुति गाता है।
ऊपर लिखी घटना को ध्यान से पढ़ें, सोचें …तो लगेगा कि ईश्वर और गुरुजी दोनों एक ही हैं, …दो नहीं।
…मगर गुरुजी, यह सोच और समझ आप देंगे, तो ही आएगी…! आप के बिना कभी नहीं
…कभी नहीं !!!