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निर्वाण दिवस (धाम)
जुलाई 23 @ 11:00 पूर्वाह्न - 4:00 अपराह्न
जिस दिन गुरुदेव ने अपना मानव रूप छोड़ा। यह “गुरु पूजा” के 2 दिन बाद आता है। यद्यपि गुरुदेव शक्ति सर्वत्र विराजमान हैं, फिर भी उनका मानव रूप इतना मोहक था कि कोई भी शिष्य उन्हें भुला नहीं पाया। जिन भाग्यशाली लोगों ने उन्हें देखा है, वे अपने अनुभव दूसरों को बताने में गर्व महसूस करते हैं। लोग उनकी समाधि पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए “नीलकंठ धाम” में बड़ी संख्या में उमड़ पड़े। सभी को “चने” और “हलवा” का प्रसाद बांटा जाता है।
नीलकंठ धाम का नक्शा