अपने पूर्व-विश्वविद्यालय के दौरान, मैं एक सिगरेट पीने के रोमांच का अनुभव करने के लिए उत्सुक था और मैंने अपने दोस्तों के साथ एक सिगरेट पीने का फैसला किया। मैंने खुद से कहा कि मैं इसे केवल एक बार कोशिश करूंगा और इसे फिर कभी नहीं छूऊंगा। दुर्भाग्य से वह मेरा आखिरी नहीं था। मैंने उस दिन के बाद ग्यारह साल तक धूम्रपान किया है। मेरी लत इतनी बुरी थी कि मैं एक दिन भी धूम्रपान छोड़ नहीं सका। मैंने कई बार छोड़ने की कोशिश की लेकिन हमेशा असफल रहा। मेरे गहन धूम्रपान के कारण मुझे अस्थमा हो गया और मेरा स्वास्थ्य खराब होने लगा। इन सभी ग्यारह वर्षों में मैंने एक बार भी इस समस्या को लेकर गुरुजी के पास आने के बारे में नहीं सोचा था।
वर्ष 2012 में, मैंने सिगरेट छोड़ने के बारे में गंभीरता से सोचना शुरू किया और गुरुजी से मदद मांगने का फैसला किया। यह बड़ा गुरुवार था और मुझे ठीक-ठीक वह महीना याद नहीं है, जब मैंने पापाजी से मुझे इस लत से बाहर निकालने का अनुरोध करने का फैसला किया था। मैं कतार में प्रतीक्षा करने लगा और लगातार सोच रहा था कि गुरुजी मेरी धूम्रपान की आदत कैसे छुड़वाएंगे। दूसरी ओर मुझे यह भी डर था कि गुरुजी मेरे माँगने पर मेरा धूम्रपान छुड़वा देंगे, और मैं चाहूँ तो उसके बाद कभी धूम्रपान नहीं कर पाऊँगा। और आखिर में जब मेरी बारी आई तो मैंने बस पापाजी के सामने झुककर कहा कि मैं धूम्रपान छोड़ना चाहता हूं। पापाजी तुरंत मुझ पर हँसे और पूछा “पक्का?” मैने हां कह दिया। उन्होंने कहा कि मुझे शर्मा जी (गुरुजी) के पास जाकर यही बताना चाहिए। शर्मा जी गुरुजी ने मुझे इलाइची का आशीर्वाद दिया और मुझे हर बार लालसा होने पर एक खाने के लिए कहा।
मैंने उस दिन के बाद धूम्रपान न करने की कोशिश की, लेकिन मैं फिर असफल रहा। इसलिए मैंने कोशिश करना बंद कर दिया और गुरुजी द्वारा ही इसके छूट जाने की प्रतीक्षा करने लगा। लगभग 25 दिनों के बाद, मुझे अपने पेट में कुछ दर्द होने लगा, और दर्द बहुत ही असामान्य जगह पर था। मैंने उस रात गुरुजी का आशीर्वाद लिया और सो गया। अगली सुबह, जब मैं अपने कार्यालय में था, दर्द असहनीय हो गया, इतना कि मुझे अपने साथियों द्वारा अस्पताल ले जाया गया। एक हफ्ते से दर्द चल रहा था और मुझे तेज मिचली आ रही थी जिससे मुझे खाने और सिगरेट की गंध से नफरत हो गई थी। उस सप्ताह के दौरान मैंने अपना एमआरआई, अल्ट्रासाउंड, एक्स रे और बाकी सब कुछ करवा के देख लिया, लेकिन डॉक्टर समस्या का निदान नहीं कर सके। मुझे बहुत दर्द निवारक दवाएं दी गईं, लेकिन दर्द बंद नहीं हुआ। मैं सोचता रहा कि गुरुजी की लौंग और इलायची का मुझ पर कोई प्रभाव क्यों नहीं पड़ा, और मुझे लगा कि शायद मुझे धूम्रपान के लिए दंडित किया जा रहा है। मैं बिस्तर से उठा और गुरुजी के चित्र के सामने खड़ा हो गया और धूम्रपान के लिए क्षमा माँगी। मैंने गुरुजी से यह भी वादा किया था कि अगर वे मेरा दर्द दूर कर देंगे, तो मैं कभी भी दूसरी सिगरेट नहीं छुऊंगा। पांच मिनट में मेरा दर्द गायब हो गया। मुझे एक चुटकी दर्द नहीं हुआ और मुझे भूख लगने लगी। बस इतना ही, मुझे राहत मिली जैसे कि यह कोई बुरा सपना था जिससे मैं जाग गया था। मुझे धूम्रपान छोड़े हुए लगभग डेढ़ साल हो गया है। सच कहूं तो मुझमें अब न तो कोई तृष्णा है और न ही इच्छा है और अगर मन किया भी, तो गुरुजी से किए गए उस वादे को तोड़ने की हिम्मत मुझमे नहीं होगी।
जय गुरुदेव।