गुरुजी ने अपनी कृपा से मुझे बचपन से ही अपनी अवचेतन उपस्थिति महसूस कारवाई है। मेरा जीवन त्रासदियों की एक श्रृंखला रहा है।
मैंने 10 साल से भी कम समय में, अपने पति, अपने बड़े भाई, फिर अपनी मां और अपने पिता को खो दिया। दिसंबर 2011 में जब मैंने अपने पिता को खोया तो मैं इस दुनिया में बिल्कुल अकेली रह गयी थी। कोई परिवार नहीं, कोई दोस्त नहीं… जीवन दिशाहीन, अर्थहीन लग रहा था, मैं उतनी टूट गयी थी जितना एक इंसान हो सकता है।
अचानक, एक दिन, एक दूर का रिश्तेदार, जो कई सालों से हमारे संपर्क में नहीं था, उसने हाल चल पूछने के लिए फोन किया। वे गुरुजी के शिष्य हैं। जब वे मेरे प्रियजनों के बारे में अपना शोक व्यक्त करने आए, तो उन्होंने सिर्फ गुरुजी के बारे में उल्लेख किया। जैसे ही उन्होने उनके बारे में बात की, मुझे अपनेपन का अहसास होने लगा, कि हाँ मुझे पता है कि वे किनके बारे में बात कर रहा है। जितना वो बताते गए, उतना मुझे विश्वास होता गया की ये वही हैं जिनके बारे में मैं मैं बचपन से सोचती आई हूं.
मैं स्थान पर गयी और मुझे लगा कि मैं घर आ गयी हूँ! विश्वास, जीवन, जीव और आत्मा के बारे में मेरे सभी सवालों का जवाब दिया गया। किसी बात को लेकर कोई संदेह नहीं रह गया। मेरा डिप्रेशन चला गया। मुझे दिल्ली में नौकरी मिल गई और मैं उनके आशीर्वाद से काम करने लगी। मेरा आत्मविश्वास, जीवन के लिए मेरा उत्साह और मेरी हंसी लौट आई। आज मैं बहुत खुश रहती हूं। अकेली हूं, और उदासी भी होती हूँ । लेकिन अब कोई है जो मेरे साथ हैं हर पल: गुरुजी।
मुझे गुरुजी में एक शाश्वत मित्र, मार्गदर्शक, अभिभावक मिला है। उनकी दयालुता, उनका उपकार, उनका प्रेम मेरे माध्यम से फैलता है। मैं उन्हें हर सांस के साथ याद करती हूं और हर कोई यह जानना चाहता हूं कि कैसे उन्होंने एक उदास, अवांछित, अप्रसन्न, उदास व्यक्ति को अपनी छत्रछाया में लिया और उसे मुसकुराता हुआ व्यक्ति बनने में मदद की। गुरुजी वह प्यार है जो आपसे कभी दूर नहीं होगा। हमें बस अपनी परेशानियाँ उन्हे सौंपनी है और पूर्ण विश्वास रखना है। वह एक जादूगर है जो आपकी समस्याओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए गए कदमों में बदल देंगे। गुरुजी, मेरे पास आपके लिए अपने प्यार और कृतज्ञता को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं।
बस, मेरे सिर पर और बहुत से लोग जो दुखी हैं उन सब पर भी अपना हाथ रखे। हम सभी गुरु कृपा के आनंद को जान सकते हैं। जय गुरुदेव!