गुरुजी मुम्बई में थे और सेवा जोर-शोर से चल रही थी। ‘वीरजी’ के मुम्बई, खार स्थित घर में लोगों की भीड़ उमड़ी चली आ रही थी और उनका घर एक मंदिर सा प्रतीत हो रहा था। श्रद्धालुगण गलियारे के रास्ते (Passage) में ही क्या, उनके घर के ड्राईंगस्म के अलावा बाहर मुख्य सड़क पर भी कतार-बद्ध खड़े थे।
गुरुजी पहले माले (First Floor) पर सबको आशीर्वाद दे रहे थे। घर के अन्दर की सीढ़ियाँ भी लोगों से खचाखच भरी हुई थी। सभी लोग गुरुजी की एक झलक पाने के लिए अपनी बारी का बेसब्री से इन्तजार कर रहे थे।
सभी लोगों का उत्साह देखने लायक था। लगातार घण्टों इन्तजार करने के बाद भी कोई नाखुः श या थका हुआ नहीं लग रहा था। विभिन्न प्रकार के लोग, विभिन्न प्रकार की समस्यायें लेकर गुरुजी के कमरे में जा रहे थे।
लेकिन जब वे वहाँ से वापिस निकलते थे तो उनके चेहरे खिले हुए नज़र आते थे। एक नहीं, सैकड़ों लोगों के चेहरों पर पूर्ण सन्तोष का भाव नज़र आता था। हर कोई जब गुरुजी के कमरे से बाहर आता तो उसका चेहरा खिला हुआ और मुस्कुराहट से भरा हुआ नज़र आता था। लगता था जैसे वो मंजिल मिल गई हो उसे, जिसके लिए वह आया था और घण्टों से इन्तजार कर रहा था।
वहाँ के वातावरण में एक उत्सव जैसा माहौल था। लोगों को ऐसा लग रहा था कि गुरूजी उन लोगों की रक्षा के लिए ही मुम्बई आये हैं। लोग यही कह रहे थे कि हम बहुत खुशनसीब हैं। शिष्य जो दिल्ली से गये थे और नये शिष्य जो मुम्बई के थे, गुरुजी के आदेशानुसार सेवा कर रहे थे। बिल्कुल खुदाई जलवा था वहाँ पर। (वहाँ लेने वालों की तो गिनती ही नहीं थी, परन्तु देने वाले सिर्फ एक ‘गुरुजी’ ही थे।)
रात के करीब एक बजे सेवा सम्पन्न हुई। तब गुरुजी मुझे सोने के कमरे में ले गये। गुरुजी पलंग पर बैठे और मैं नीचे जमीन पर। मुझे कुछ आध्यात्मिक ज्ञान देने के बाद उन्होंने मुझसे कहा, “राज्जे उठ…, बत्ती बुझा दे।”
उस दिन एक अभूतपूर्व अनुभव मुझे हुआ, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था।
आदेशानुसार मैं उठा और लाईट बन्द करने के लिए हाथ ऊपर उठाया। क्योंकि लाईट का स्विच मेरे सिर के ऊपर ही था और जैसे ही मैं लेटने के लिए बैठा कि आश्चर्य….. !! गुरुजी खर्राटे ले रहे थे।
ये कैसे हो सकता है..? मुझे लाईट ऑफ करने में, मुश्किल से पाँच सैकिण्ड का समय भी नहीं लगा होगा। पर हे भगवान…
ये सो भी गये…..!!
एक आम व्यक्ति को सोने के लिए कोशिश ही करनी होती है। परन्तु नींद तो भगवान की मर्जी से ही आती है। वही नींद देता है और वही नींद से जगाता भी है। यह क्रिया किसी व्यक्ति के बस की बात नहीं है। उपरोक्त घटना इस बात की गवाह है कि नींद पर भी गुरुजी का पूर्ण नियन्त्रण है।
आपको कोटि-कोटि प्रणाम।
…हे गुरुदेव!!