जून 1984 की बात है। गुरुजी का गाजियाबाद, ऑबराय की फैक्ट्री में जाने का प्रोग्राम था परन्तु अंतिम समय पर अचानक गुरुजी ने वहाँ जाने का प्रोग्राम स्थगित कर दिया। इसी बीच ऑबराय के बेटे अनूप ने सूचना दी कि उसकी माँ, चलती कार से नीचे गिर गई है तथा उसके सिर में गम्भीर चोट आई है और उसको इर्विन अस्पताल में भर्ती कर दिया गया है।
जैसे ही यह सूचना गुरूजी को मिली उन्होंने तुरन्त अपने एक शिष्य के. सी. कपूर को, कुछ विशेष हिदायत देकर अस्पताल भेज दिया। मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार खोपड़ी की हड्डी टूट गई थी और पीछे एक गहरा घाव भी हो गया था।
जब तक के. सी. कपूर अस्पताल पहुंचते, श्रीमति ऑबराय के घाव और सिर पर अच्छी तरह से पट्टियाँ बाँध दी गई थी। के.सी. कपूर ने उसके सिर पर दोनों हाथ रखे और गुरुजी द्वारा दिया गया आदेश उनके परिवार को बताया कि उन्हें राना नर्सिंग होम, राजौरी गार्डन में शिफ्ट कर दिया जाये।
नर्सिंग होम पहुंचने पर उसका दुबारा एक्सरे लिया गया और वह देखकर वे सभी दंग रह गये कि उसमें खोपड़ी की कोई भी हड्डी, टूटी हुई नहीं दिख रही थी। कुछ दिन नर्सिंग होम में रुकने के बाद, वहाँ से उन्हें छुट्टी दे दी गई और वे लोग अपने घर आ गये।
गुरूजी ने कहा, “आप लोगों को चिन्ता करने की कोई ज़रुरत नहीं है …मैंने इसे बीस साल की अतिरिक्त ज़िन्दगी दे दी है। जहाँ तक उसके चेहरे और सिर पर घाव का सवाल है, वह कोई मायने नहीं रखता।”
सन् 1992 में अचानक एक दिन मैंने अनूप (जिसका प्यार का नाम काकू है) से वैसे ही पूछा कि उसकी माँ का एक्सीडेन्ट कौन से सन् में हुआ था। जब मुझे पता लगा तो सोचने लगा कि इस घटना को तो बीस साल 2004 होने वाले हैं।
ठीक बीस साल बाद, सन् 2004 में काकू की माँ, इस संसार को छोड़कर गुरुजी के चरणों में चली गई।
हर प्राणी को आयु केवल भगवान ही देता है और निश्चित समय पर ही उसकी मौत भी निश्चित है। यदि भगवान से भी ये प्रार्थना की जाए, तो वेदान्त के हिसाब से भी वह अपने इस निर्णय में कोई बदलाव नहीं करता है। निश्चित है कि भगवान अपने प्रोग्राम नहीं बदलता।
भगवान अपने प्रोग्राम के हिसाब से आयु निर्धारित करता है और गुरुजी उसके द्वारा निर्धारित आयु को बढ़ा देते हैं, जो हर किसी की समझ से परे है।
ऐसा ही हुआ था। वो महिला जिसके सिर पर गम्भीर चोट लगी थी और मृत्यु निश्चित थी, उसे महागुरुदेव ने 20 वर्ष की अतिरिक्त आयु दी और सन् 2004 तक अर्थात वह ठीक 20 साल तक जीवित रही।