गुरुजी अपने शिष्य आर.पी. शर्मा जी को बहुत प्यार करते थे। एक बार की बात है कि एक बुखार और जोड़ों के दर्द से ग्रसित एक गम्भीर मरीज़ गुरुजी के पास आया और गुरुजी ने उसे आर.पी शर्मा जी के पास भेज दिया। शर्मा जी ने उसे बिलकुल ठीक कर दिया अर्थात वह पूर्ण रुप से सन्तुष्ट हो गया। मरीज़ के साथ उसके इस तरह के व्यवहार को देखकर गुरुजी बहुत खुः श हुए।
एक दिन गुरुजी ने उन्हें अपने कमरे में बुलाकर कहा कि मैं तुम्हें दो-तीन महीने के लिए बुखार देना चाहता हूँ। आर.पी. शर्मा जी यह जानते थे कि गुरुजी जो कुछ कह देते हैं वह होकर रहता है। उससे भगवान भी बचाने नहीं आता।
शर्माजी गुरुजी के चहेते बच्चे थे और यह वह भी जानते थे। अतः उन्होंने गुरुजी से प्रार्थना की, “….तो ठीक है गुरुजी, लेकिन प्रार्थना है कि मुझे घर पर और ऑफिस में बुखार नहीं आना चाहिए।”
बहुत सुन्दर…….
गुरुजी सहमत हो गये।
शर्माजी अपने ऑफिस जाने के लिये घर से निकले तो घर से निकलते ही उन्हे तेज़ बुखार आ गया। ऑफिस पहुंचते ही उनका बुखार गायब हो गया। यही सिलसिला लगभग दो महीने तक रोज़ाना ऐसे ही चलता रहा। जब वे घर होते या ऑफिस में तो बुखार उन्हें छू भी नहीं सकता था।
एक बार क्या हुआ कि कुछ भक्तजन शर्माजी के घर आये और उनसे, उनके घर पारिवारिक समारोह में शामिल होकर आशीर्वाद देने की प्रार्थना करने लगे। शर्माजी उनके प्यार व गुरुभक्ति से परिचित थे अतः शर्माजी उनके घर जाने के लिए सहमत हो गये।
बहरहाल, वे गुरुजी से किया गया अपना वादा भूल गये और वहाँ आये लोगों को आशीर्वाद देने में लग गये।
बुखार चढ़ना आरम्भ हो गया। कुछ समय तो उन्होंने उसे नजरअन्दाज किया। लेकिन जैसे-जैसे समय व्यतीत होता गया, वह बढ़ता ही चला गया। बुखार इतना अधिक तेज़ हुआ कि उनका कुर्सी पर बैठना, किसी से बात करना और लोगों को आशीर्वाद तक देना मुश्किल हो गया। वे इतना परेशान हो गये और सोचने लगे कि कब समारोह से निकलें और किसी तरह घर पहुंचे।
अगले दिन सुबह वह गुरुजी के पास गये और अपनी बाँहे फैलाकर गुरुजी से प्रार्थना करने लगे, “गुरुजी अब मैं और बरदाश्त नहीं कर सकता। कल जो इस बुखार ने मेरी हालत की, वह मैं बयान नहीं कर सकता।”
गुरुजी बोले, “ठीक है, आज के बाद बुखार नहीं होगा।”
और शर्माजी को उसके बाद कभी बुखार नहीं आया।
गुरूजी से मैं प्रार्थना करता हूँ कि कृपया हमें समझायें कि उनके पास वे कौन से ऐसे दैविक तीर हैं जिनके चलते ही बुखार आ भी जाता है और चला भी जाता है। यह चिकित्सा सम्बन्धी परिभाषा (Medical Terminology) के लिए एक चुनौती (Challenge) का विषय है।
जब यह आता है तो कोई नहीं जानता कि यह कब तक रहेगा। लोग इससे आराम पाने के लिए दवाईयाँ लेते है और इन्तजार करते हैं कि यह कब ठीक होगा…! यहाँ तक कि जाने माने डॉक्टर भी (Clinical Test) जाँच पर निर्भर रहते हैं कि आखिर इस बुखार के पीछे कारण क्या है…!!
लेकिन गुरूजी के तो अपने ही विशेष दैविक तरीके हैं जिनसे वे अपने शिष्यों को भी मालामाल करते हैं।