गुड़गाँव का सन्नी कत्याल, जो बिटू कत्याल का छोटा भाई है, बहुत लम्बे समय से सिरदर्द से परेशान था। उसे जल्दी-जल्दी सिरदर्द होती थी और गुरुजी उसको ठीक कर देते थे। लेकिन उसे सिरदर्द की समस्या बार-बार होती थी। यह उसके लिए एक गम्भीर समस्या बन गयी थी जोकि लम्बे समय से चली आ रही थी। करीब-करीब हर पन्द्रह दिनों में वह गुरुजी के पास आता और अपने सिरदर्द को ठीक करने की प्रार्थना करता था।
एक दिन गुरूजी ने सभी बच्चों को बुलाया और उन्हें एक फिल्म देख कर आने के लिये कहा। सन्नी भी उन्ही बच्चों में से एक था। जब वह भी और बच्चों के साथ फिल्म देखने के लिए निकला और गुरुजी के साथ वाले छोटे कमरे तक पहुंचा ही था कि वहाँ से वापिस गुरुजी के पास आ गया। सन्नी विनय पूर्वक प्रार्थना करने लगा– “गुरु जी, आप मेरी सिरदर्द खत्म कर दो ना.. हमेशा के लिए। मैं बहुत परेशान हो गया हूँ।”
उस समय गुरुजी, अपनी प्रिय मुद्रा में खड़े थे। (अपने शरीर का सम्पूर्ण भार अपनी बाँयी टाँग पर और बाँया हाथ अपनी कमर पर रखे हुए तथा अपने सुन्दर चेहरे पर दिल छू लेने वाली मुस्कान लिए हुए) उन्होंने अपने जेब से घुग्गी निकाली, थोड़ी सी अपनी बॉयी हथेली पर रखी और दाहिने हाथ के अंगूठे से उसे मसलना शुरु कर दिया।
गुरुजी, सन्नी के चेहरे की तरफ देखे जा रहे थे। फिर उसमें से थोड़ी सी मात्रा उठाकर सन्नी को दी और उसे खाने का आदेश दिया…..
और …सन्नी वह खा गया।
कुछ ही मिनट बीते कि वह कुछ परेशान होने लगा। वह अपने आपको असहाय सा महसूस करने लगा और दौड़ता हुआ वॉश-बेसिन की तरफ गया तथा उल्टियाँ करने लगा।
एक……, दो……., तीन………, और
फिर और……।। वह तब तक उल्टियाँ करता रहा, जब तक उसके पेट में जो कुछ भी था, बाहर नहीं आ गया।
…और काम हो गया। उसके बाद सन्नी अपनी साधारण अवस्था में आ गया और अपने आप को ठीक महसूस करने लगा।
एक महत्वपूर्ण व अविश्वस्नीय बात यह हुई कि उस दिन के बाद उसको सिरदर्द बिल्कुल नहीं हुआ।
क्या अद्भुत इलाज था….!!
बिल्कुल समझ से बाहर….!!!
….हे गुरुदेव, सिर्फ आप ही ऐसा कर सकते हैं!!