गुरुजी अपने शिष्यों, जिनमें श्री आर. पी. शर्मा, सबरवाल, सरदार बक्शी तथा कुछ और भी शिष्य थे, को लेकर लंदन गये हुए थे। एक डॉक्टर जो ब्लैक पूल में रहता था, उसके बड़े भक्तिभाव-पूर्ण निमन्त्रण पर गुरुजी उसके घर में दो दिन के लिए ठहरे थे। डॉक्टर ने गुरुजी से प्रार्थना की कि वे सभी को कुछ इलैक्ट्रोनिक वस्तुओं की खरीदारी करने की आज्ञा दें जो भारत में मुश्किल से मिलती हैं।
अतः सब लोगों ने कुछ खरीदारी करने का प्रोग्राम बनाया और डॉक्टर उन सबको साथ लेकर वहाँ के एक मशहूर स्टोर में गये और उन लोगों ने कुछ इलैक्ट्रोनिक वस्तुएं, जैसे टी.वी., वी.सी.आर. के साथ-साथ और बहुत कुछ सामान भी खरीदा जो उस समय तक भारत में उपलब्ध नहीं था।
डॉक्टर ने खरीदे गये सामान की कीमत का अन्दाज़ा लगाया जो उसकी उम्मीद से कहीं ज़्यादा था। उसने उस स्टोर के मालिक से कहा कि वह किसी अपने आदमी को भेजकर उसके घर से पेमैन्ट मंगवा ले। वह डॉक्टर चाहता था कि जो सामान उन लोगों ने खरीदा था उसके बिल का भुगतान वह करे क्यों कि वह यह भी जानता था कि भारत सरकार केवल 500 डॉलर/प्रति व्यक्ति विदेश यात्रा पर लाने की ही अनुमति देती है। डॉक्टर उन सभी को खुश करना चाहता था जो गुरुजी के साथ आये थे।
उस समय उसे इतना अन्दाज़ा नहीं था कि वे लोग इतनी खरीदारी करेंगे। लेकिन गुरुजी जानते थे कि जो लोग उनसे जुड़े हुए हैं या उनके आस-पास भी हैं उनके दिल और दिमाग में क्या चल रहा है।
गुरुजी बीच में ही हस्तक्षेप करते हुए बोले, “नहीं बेटा, पेमैन्ट अभी हो जाएगी।” गुरुजी ने अपनी पिछली जेब से पर्स निकाला और दुकानदार को गिनकर पैसे दे दिये। उन्होंने सारे पैसे पाउण्ड्स में दिये।
आश्चर्य… !!
गुरुजी हमारे साथ ही भारत से आये थे और डॉलर में पैसे लाये थे और दिल्ली में ये सारी विदेशी मुद्रा, सरदार बक्शी ने ही एकत्र की थी परन्तु डॉलर में, ना कि पाउण्ड्स में। पेमैन्ट उन्होंने पाउण्ड्स में की और वह भी हजारों पाउण्ड्स में। सरदार बक्शी के अनुसार उसने पाउण्ड्स में विदेशी मुद्रा नहीं ली थी।
बाद में हमें गुरुजी के पर्स के बारे में पता चला कि उसमें क्या खासियत है। उसमें से किसी भी समय, कितने भी पैसे और किसी भी मुद्रा में निकालना उतना ही आसान है जितना एक साधारण व्यक्ति के पर्स से एक रुपये का नोट निकालना।
कैसे डॉलर्स पाउण्ड्स में बदले। यह आज भी एक रहस्य है और
कैसे इतनी बड़ी पेमैन्ट हो गई। जबकि भारत में विदेशी मुद्रा के लिए एक तय सीमा है।
….इसका जवाब तो सिर्फ गुरुजी ही दे सकते है।
……. और वो भी तब यदि वे चाहें।।