मेरे बचपन के दोस्त को पता चला कि गुड़गाँव वाले महान गुरूजी ने मुझे अपना शिष्य बनाया है। वह मेरी पत्नी ‘गुलशन’ के भी बहुत करीब था, उसने अपनी परेशानी का कारण बताते हुए कहा कि मेरी छोटी बहन नाजी, जो पिछले छ: महीने से लगातार होने वाले सिरदर्द से बहुत परेशान है और रात को सो भी नहीं सकती। उसकी शादी कोलकत्ता में हुई थी। गुलशन ने मेरे मित्र को उसे जल्दी दिल्ली बुलाने और गुरुजी से मिलवाने के लिए कहा।
गुलशन को पूजनीय साहेब जी पर अटूट विश्वास था। मेरा मित्र, गुलशन को बहुत सम्मान देता था और उस पर बहुत विश्वास भी करता था। इसलिए उसने अपनी बहन नाजी को दिल्ली बुला लिया।
उसे अपने साथ लेकर गुरुजी के पास गयी और वहाँ एक अजीब घटना घटी। गुरुजी उसे बड़ों की तरह देख रहे थे लेकिन नाज़ी एक छोटे बच्चे की तरह बर्ताव कर रही थी। वह एक बच्चे की तरह गुरुजी से बोली, “गुरुजी ये सिरदर्द मुझे जीने नहीं देती और पिछले छ: महीने से मैं रात को सोई तक नहीं।”
गुरूजी ने उसकी तरफ देखा, अपने बाँये हाथ से उसके सिर को पकड़ा और उसके माथे के बीच में ग्यारह स्ट्रोक्स (Strokes) लगाये। उसका माथा सूज गया। गुरुजी ने उसे विशेष हिदायतें दी जिसमें से एक यह भी थी कि वह अपनी सास को कभी अपने सिर में तेल ना लगाने दे।
नाज़ी यह सुनकर स्तब्ध रह गई। वह असमन्जस की स्थिति में सोचने लगी कि उसकी सास तो लगातार पिछले कई महीनों से उसके बालों में तेल की मसाज़ करती है…!! खैर… किसी तरह से नाजी बिल्कुल ठीक हो गयी। उसे किसी प्रकार का सिरदर्द नहीं था और वह रात को आराम की नींद सोने लगी।
कोलकत्ता वापिस जाने के बाद अगले दिन से वह दिन में बीस घन्टे सोने लगी, जो बड़ा अजीब लग रहा था और नाजी ने शिकायत की कि शायद वह बीमार हो गई है? मैंने गुरुजी को बताया तो गुरुजी बोले, “हाँ बेटा, पिछला घाटा भी तो मैंने पूरा करना ही है ना… इसमें चिन्ता की कोई बात नहीं है वह कुछ समय बाद ठीक हो जायेगी, नाजी को बता दो।”
उसके बाद तीस साल का लम्बा समय बीत गया, आज तक ना तो उसे फिर कभी ऐसा सिरदर्द हुआ और ना ही कभी नींद की समस्या ही सामने आई।
छ: महीने की जान लेवा बीमारी और आपने चुकियों में ठीक कर दी….!!
ऐ मेरे मालिक…।।
कभी तो बता दीजिए कि आप हैं कौन…
प्रणाम साहेब,
अपनी कृपा बनाये रखना जी…