मुम्बई के रहने वाले भक्तजन गुड़गाँव आकर, गुरुजी का आशीर्वाद लेने की ‘महाशिवरात्रि’ और ‘गुरु पूर्णिमा’ का बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। दिनेश भंडारे भी, ‘सुपर लार्ड’ का इन्तजार करने वालों में ऐसा ही एक भक्त है जो कभी इस अवसर को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहता था।
ऐसे ही एक अवसर पर वह गुरुजी के समक्ष बैठकर अपने ऑफिस के माहौल के बारे में गुरुजी को बता रहा था।
असल में हुआ ये था कि उसका कुछ रैंक प्रोमोशन हुआ और जिन लोगों से वह आगे निकल गया था वे उससे जलते थे।
उसे यह प्रोमोशन, गुरुजी के आशीर्वाद से हासिल हुई थी और उसकी ईमानदारी, उसके लालच से कही अधिक ज़्यादा थी। क्रय विभाग का मुखिया (Head of the Purchase Department) होने के नाते अतिरिक्त आमदनी, उसे प्रलोभन दे रही थी लेकिन वह व्यक्ति कभी बिकाऊ नहीं था।
उसके विभाग के कुछ अन्य अधिकारी, उसके कार्य में रोड़े अटका रहे थे जिससे वह मानसिक रुप से परेशान हो जाये और कुछ हद तक वे अपने मकसद् में कामयाब भी हो गये। दिनेश ने गुरुजी से शिकायत की, “गुरुजी, उसके ऑफिस का माहौल ऐसा बन गया है कि या तो वह प्रोमोशन से वापिसी ले ले और/या फिर नौकरी से त्यागपत्र (Resign) दे दे।
गुरुजी बहुत अच्छे मूड (Excelent Mood) में थे।
वे बोले–
“बेटा, तुम नौकरी से त्यागपत्र (Resign) नहीं दोगे और याद रखना यदि तुम इस कम्पनी से बाहर चले गये, तो यह कम्पनी बन्द हो जायेगी।”
ये शब्द उससे पूजनीय गुरुजी से सन् 1989 में कहे थे। गुरुजी के उस आज्ञाकारी भक्त ने, गुरुजी की आज्ञा से मुम्बई वापिस जाकर, उसी कम्पनी में सभी परेशानियों को झेलते हुए अपना काम शुरु कर दिया। ठीक बारह साल बाद सन् 2001 में दिनेश ने, बिना किसी दबाव के अपनी मर्जी से, उस कम्पनी की नौकरी से त्यागपत्र (Resign) दे दिया।
करीब एक महीने बाद दिनेश को पता लगा कि उस कम्पनी के सभी कर्मचारियों को नोटिस दे दिया गया है कि वह कम्पनी बन्द हो रही है।
हे भगवान—-
गुरुजी ने दिनेश को सन् 1989 में ये कहा था, “जिस दिन तू यह कम्पनी छोड़ देगा उस दिन के बाद ये कम्पनी बन्द हो जायेगी” और यह बारह साल के बाद हुआ। दिनेश ने कम्पनी छोड़ी और कुछ ही हफ्तों में कम्पनी बन्द हो गयी।
गुरुजी आप भगवान की तरह ही महान हो।
जैसे वो जानता है कि आगे क्या होने वाला है।
……..आपको कोटि-कोटि प्रणाम गुरुदेव ।