“गुरू-पूर्णिमा” यह अति विशिष्ट दिन था। लगभग दो-तीन दिन का समय गुरु-पूजा के लिए शेष रह गया था और गुड़गाँव स्थान पर हर जगह लोगों की असाधारण भीड़ देखी जा सकती थी। लगातार सेवा सामान्य रुप से हो रही थी। साहिब जी के आदेशानुसार मैं तहखाने (Basement) में सेवा कर रहा था।
साधारणतया: इस दिन शिष्य, अपने गुरु को कपड़े अर्पण करता है तथा उनकी पूजा करता है और गुरु उन्हें सहर्ष स्वीकार करते हैं। यह प्रथा भारत के लगभग सभी भागों में प्रचलित है। सिर्फ यही एक दिन है जब गुरु अपने शिष्य को ‘ना’ नहीं कहते और शिष्य की हर बात के लिए ‘हाँ’ कहते हैं। यही एक दिन शिष्यों का होता है क्योंकि वह पूरे साल गुरू से माँगता है और गुरू उसे देने के लिए तैयार रहते हैं। दाता तो हमेशा दाता है, लेकिन फिर भी इस खूबसूरत दिन के लिए गुरु अपने शिष्यों को अपने तरीके से, अपने प्यार का इजहार करने के लिए अनुमति देते हैं ।
मैंने एक जवान भक्त, जो पेशे से दर्जी था, गुरुजी की अनुमति से उसे अपने साथ लिया और गुरुजी के विशेष कक्ष में जाने और उनके कपड़ों का नाप लेने के लिए भेजा। लेकिन वह दुखी मन से वापिस आ गया। उसने बताया कि गुरूजी ने उसे नाप लेने की अनुमति नहीं दी। इसके बाद कपड़ों की सिलाई के लिए आगे समय भी बहुत ज़्यादा नहीं बचा था। कपड़ों की सटीक सिलाई के लिए समय की जरुरत थी, तो मैंने कुछ मिनट के लिए सेवा को निलंबित कर दिया और अपने स्वामी (My Master) के पास पूछने चला गया।
मैंने गुरुजी से कहा, “गुरुजी दो दिन बाकी बचे हैं आपने उसे नाप क्यों नहीं लेने दिया।” गुरुजी ने कहा,
“पिछले साल का मेरा नाप है उसके पास।”
कक्ष में गुरुजी और मैं बात कर रहे थे और कोई दूसरा व्यक्ति वहाँ नहीं था। मैंने कहा, “गुरुजी पिछले साल और आज के नाप में बहुत फर्क पड़ गया है। आपने पिछले 21 दिन से कुछ खाया नहीं, इसलिए आपका शरीर काफी दुबला हो गया है, पिछले साल के नाप के कपड़े, ढीले लगेंगे जी।”
“……बेवकूफ, तुम्हें क्या लगता है कि जैसा मैं आज हूँ, हमेशा ऐसा ही रहूंगा..? 10 से 15 दिनों में, मैं पुरानी स्थिति में आ जाऊँगा। ….जाओ और उससे कहो कि पिछले साल के नाप के ही कपड़े बनाये।”
मैंने गुरुजी के आदेश का पालन किया और जिस तरह गुरुजी चाहते थे, दर्जी को निर्देश दे दिया। लेकिन, मेरे दिमाग में सिर्फ यही चल रहा था— कि गुरुजी ने अभी क्या कहा था, इस बात की संभावना डाइजेस्ट नहीं कर सका कि गुरुजी का शरीर 10-15 दिनों में पिछले वाली स्थिति में आ जायेगा…!!
कुछ आध्यात्मिक प्रक्रिया के कारण गुरुजी ने पिछले तीन सप्ताह में किसी प्रकार का भोजन नहीं लिया था और इसलिए काफी हद तक उनका वज़न कम हो गया था। मेरे आकलन के अनुसार पिछली स्थिति तक आने में कम से कम 3 महीने के समय की आवश्यकता थी। लेकिन, मुझे महान आश्चर्य तो तब हुआ जब 15 दिन अभी बीते भी नहीं थे कि नए कपड़े गुरुजी को बिलकुल फिट लग रहे थे। मैं गुरुजी को पिछले साल के रुप में वैसा ही देख रहा था, जैसा उन्होंने कहा था।
गुरुजी सब जानते थे जैसे भगवान सब जानते हैं। भगवान के अलावा भविष्य कोई नहीं जानता, लेकिन …गुरूजी जानते हैं।
…प्रणाम जी