सन् 1991 की बात है, जब गुरुजी ने सन्नी (पुन्चू के पति) को पंजाबी बाग में अपने कमरे में बुलाया। उसे आध्यात्मिक शक्तियाँ देने के बाद आदेश दिया कि उसने मुम्बई में जो मकान खरीदा है, उसमें सेवा शुरु कर दे।
बड़े उत्साह से उसने वहाँ सेवा शुरु कर दी और गुरजी की कृपा से स्थान पर लोग आने शुरु हो गये और स्थान पर माथा टेकने लगे और उससे आशीर्वाद प्राप्त करने लगे।
सन्नी का नया घर और स्थान उस जगह पर था, जहाँ क्रिश्चन लोगों की संस्था (Christian Society) थी और उसके घर के सामने चर्च भी था। क्रिश्चन संस्था (Christian-Society) की तरफ से उसे एक चेतावनी भरा पत्र मिला। जिसमें लिखा था कि वह यह कार्य तुरन्त रोक दे क्योंकि यह कार्य धर्म से सम्बन्ध रखता है और क्रिश्चन धर्म (Christianity) में ऐसा नहीं है। उन्होंने पुनः धमकी दी कि तुम यहाँ सेवा नहीं करोगे और न ही खिचड़ी का लंगर प्रसाद, लोगों को खिलाओगे क्योंकि यह क्रिश्चन कॉलोनी है।
एक रात सोने से पहले सन्नी बहुत परेशान था। उसने गुरुजी से प्रार्थना की, कि वह तो उनके आदेश पर ही ऐसा कर रहा है उसने पुन: प्रार्थना की, कि वे उसकी मदद करें और परिस्थिति को नियन्त्रण में करें।
उसने लाईट बन्द की और उसने जाग्रत अवस्था में ही एक स्वप्न देखा। उसने देखा कि “शिरड़ी वाले साई बाबा, उसके बिस्तर पर अपनी लौकिक पोशाक, धोती-कुर्ता और छोटी-छोटी दाढ़ी में बैठे हैं। लेकिन उनकी दाढ़ी के बाल, उससे छोटे थे जैसे उसने उनकी तस्वीरों में देखे थे।”
सांई बाबा ने कहना शुरु किया– “बस…!! इतने में ही घबरा गया? मुझे तो लोगों ने पत्थर तक मारे थे।”
लेकिन सन्नी आश्वस्त नही हुआ । बाबा ने आगे कहना शुरु किया— “अच्छा— तो ठीक है…. आज के बाद तुम्हें कोई परेशान नहीं करेगा, ये मेरा वादा है।”
उसके बाद आज तक न तो कोई पत्र आया और न ही किसी प्रकार की कोई शिकायत। उस दिन के बाद, आज तक, करीब बीस साल हो गये हैं नि-विघ्न सेवा चल रही है।
….मुझे याद है कि एक बार गुरुजी ने कहा था कि मुझे यदि तुरन्त मुम्बई जाना हो तो मुझे तीन मिनट लगते हैं– कारण रास्ते में मुझे दो जगह रुकना पड़ता है।
एक- अजमेर के मुस्लिम फ़कीर के पास और
दूसरा–शिरड़ी के साईं बाबा के पास । गुरुजी ने कहा था कि वे दोनों मेरा इन्तजार करते हैं क्योंकि इन दोनों को मेरे प्रोग्राम का पता होता है।
इसलिए स्पष्ट है कि साईं बाबा को गुरूजी ने ही भेजा होगा स्थिति पर नियंत्रण करने के लिए और वह उन्होंने बाखूबी किया भी।