रीटा नाम की एक तरुण कन्या, जिसे काफी समय से पागलपन के दौरे पड़ते थे, गुरुजी के पास अक्सर आती थी। उसके परिवार वाले इस बात को लेकर हैरान थे कि पागलपन के दौरे में उसे गुडगाँव ले जाते थे …मगर जैसे ही वह गुरुजी के सामने जाती, तो बिलकुल ठीक हो जाती थी। कई बार से ऐसा ही होता रहा और परिवार वाले बड़े असमंजस में थे। करीब दो साल तक यही सिलसिला चलता रहा। एकबार ऐसा हुआ कि गुरुजी अपने बिस्तर पर विराजमान हो लोगों से मिल रहे थे और लम्बी कतार उनके कमरे के बाहर लगी थी। उनके कमरे का वह दरवाज़ा, जो गली में खुलता था उसी से लोग अंदर आ रहे थे और मिलने के बाद दूसरे दरवाजे से बाहर जा रहे थे। यह लड़की भी वहीं खड़ी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी। लेकिन इसबार मामला विपरीत था।
लड़की बिलकुल ठीक हालत में थी। उसकी बारी आने पर जैसे ही वो अंदर गयी और उसने गुरुजी को देखा तो पागलपन का भयानक दौरा पड़ गया। पागलों की तरह अपने सिर और शरीर को झटके देने लगी। अब गुरुजी एकदम उठे और उसे बालों से पकड़ लिया और अपनी आध्यात्मिक शक्तियों से भरपूर पिटाई शुरु कर दी। जैसे ही उन्होंने पिटाई बन्द की, लड़की बिलकुल ठीक-ठाक थी। जीवन में उसकी बीमारी का वह अन्तिम दिन था।
भली-चंगी वो लड़की अपने घर ‘विशाल-एन्क्लेव’ पहुंची और अपने माता-पिता और परिवार के साथ सुख से रहने लगी। इस केस में अजीब बात यह है कि पिछले दो सालों में जब भी, वो गुरुजी के सामने आती तो बिलकुल ठीक होती थी, हालाँकि बाहर पागलपन का दौरा पड़ा होता था। आज पहली बार ऐसा हुआ कि बाहर ठीक थी और गुरुजी के सामने आते ही पागल हो गयी। यह बताते हुए मुझे बड़े आनन्द का अनुभव हो रहा है कि गुरुजी ने एक कमाल की पिटाई करी और उस बेचारी का जीवन बदल गया। उसकी शादी हो गयी और सुखमय जीवन व्यतीत कर रही है। यह घटना बताते हुए मेरा हृदय गद्गद् हो रहा है कि उसका जीवन गुरुजी कि कृपा से सुधर गया और जीने लायक हो गया।
सैंकड़ों बार प्रणाम करता हूँ …….हे गुरुदेव ।