एक मशहूर अभिनेता किसी घाव के कारण बम्बई के एक विख्यात अस्पताल में भर्ती था। हर तरह का उपचार करने के बावजूद, घाव से कुछ तरल पदार्थ बाहर आता जा रहा था। डॉक्टरों ने उसके परिवार वालों को बताया कि वे असहाय स्थिति में पहुंच चुके हैं। बहुत कोशिश करने के बावजूद वे इसका कारण नहीं समझ पा रहे हैं। अब तो जान बचाना भी मुश्किल लग रहा है। उस अभिनेता का सचिव (Secretary), वीरजी के छोटे भाई संदीप सेठी को जानता था जोकि फिल्म उद्योग में था। वो जानता था कि वीरजी और संदीप, गुरुजी के शिष्य हैं अतः उसने अपने बॉस के लिए, गुरुजी के स्पेशल आशीर्वाद के लिए प्रार्थना की। संदीप ने गुरुजी से फोन पर बात की और अभिनेता की जीवन रक्षा के लिए प्रार्थना की। सुनकर गुरुजी ने कहा कि सचिव (Secretary), को गुडगाँव भेज दो। सुनते ही सचिव हवाई जहाज़ से गुडगाँव पहुंच गया। भाग्यवान था कि उसे गुरुजी के दर्शन हो गए।
संदीप के कहे अनुसार, सचिव ने गुरुजी के चरण पकड़े और बड़े ही विश्वास के साथ अपने बॉस की जीवन रक्षा और निकलते हुए तरल को रोकने की प्रार्थना की। गुरुजी ने जेब से अपना रुमाल निकाला और सचिव को देते हुए कहा, “जाओ, इस रुमाल को उसकी दाईं बाजू पर, कंधे और कोहनी के बीच में बाँध दो।”
रुमाल लेकर उसने फ्लाईट पकड़ी और वह सीधा अस्पताल पहुंचा और जैसा गुरुजी ने कहा था, रुमाल उसके बाजू पर बाँध दिया। उसी समय देखते ही देखते घाव के अन्दर से निकलता हुआ तरल बिलकुल बंद हो गया।
……एक अचम्भा था यह।
— डॉक्टरों ने कहा, यह अविश्वस्नीय है। और साथ ही घोषित कर दिया कि मरीज़ खतरे से पूर्णतया बाहर है। मैंने सुना कि उसकी पत्नी धन्यवाद देने और आभार व्यक्त करने और साथ ही आशीर्वाद लेने के लिए गुरुजी के पास आयी थी।
उपरोक्त घटना की पूरी जानकारी होते हुए भी मैं उस अभिनेता, उसकी पत्नी और सचिव का नाम नहीं लिख रहा। ऐसा क्यो…? पता नहीं। लेकिन अगर किसी को जिज्ञासा हो और कुछ अधिक जानकारी चाहिए तो संदीप सेठी से मुम्बई में संपर्क कर सकता है।
पाठकों को विचार तो आ सकता है कि किस तरह का रुमाल होगा गुरूजी का, कि बाजू पर बाँधते ही संजीवनी की तरह कार्य किया जिसने ।
…क्या किया होगा गुरुजी ने उस कॉटन के रुमाल को, जिसके छूते ही मरीज ठीक हो गया और वो शब्द और आवाज़ कैसी थी, “……जाओ, इसे उसकी बाजू पर बाँध देना– वो ठीक हो जाएगा।”
अब कैसे हो …आपकी असली पहचान गुरुजी…?
कोटि-कोटि प्रणाम हे —गुरुओं के गुरू ‘…गुरुजी’