यह घटना शिवपुरी स्थान से सम्बन्धित है, जहाँ गुरुजी ने मानव जाति के लिए एक अनदेखी व अभूतपूर्व सेवा शुरु की थी। वहाँ हर एक व्यक्ति चाहे वह किसी भी समस्या के समाधान के लिए क्यों न आया हो, उसका स्वागत होता था। फिर वो समस्या चाहे शारीरिक हो, बुरे वक्त से सम्बन्धित हो, मानसिक हो या आध्यात्मिक। गुरुजी अपने स्थान पर बैठते और लोगों के आने और उनका अपनी समस्याऐं उनके समक्ष रखने का सिलसिला शुरू हो जाता तथा उनकी समस्याओं का निवारण हो जाता।
यह दृश्य देखने लायक होता था। वे किसी को भी मना नहीं करते थे। आने वाले हर व्यक्ति को चाय का प्रसाद दिया जाता था। एक बार गुरुजी स्थान पर बैठे और मैं अपनी सेवा के हिसाब से वहाँ खड़ा था। नया होने के नाते मैं भी अभी गुरूजी के अधिक निकट नहीं आया था। लेकिन जिज्ञासावश रोजाना गुरुजी द्वारा किये जा रहे अविश्वस्नीय कार्यो को करते देखता रहता था। वहाँ जो भी दिन बीतता था वह अचरज व चमत्कारों से परिपूर्ण होता था। तभी दो महिलायें आई और गुरुजी के सामने बैठ गईं। उनमें से एक महिला बोली, “गुरुजी यह मेरी पड़ोसन है और बहुत उदास है क्योंकि इसकी सोने की चेन किसी ने चुरा ली है। मैं इसे यहाँ लेकर आई हूँ कि आप इसकी चेन, इसे वापिस दिला दें और मैं यह जानती हूँ कि आप ऐसा कर सकते हैं।” गुरूजी ने उसकी तरफ देखा और कहा, “जिसके पास इसकी चेन है, वो भुगतेगा। उसके बेटे को आज बुखार हो जायेगा। रात के नौ बजे उसका बुखार बढ़ना शुरु होगा और कल सुबह सूर्योदय से पहले वह मर जायेगा।” वह दोनों महिलाएं चली गई। मैं वहाँ असमंजस में बुत बना खड़ा था मैंने गुरुजी से पूछा कि गुरुजी गुनाहगार आपकी चेतावनी को कैसे जानेगा….? उसे तो उसके बेटे के बुखार और मृत्यु के बारे में कोई जानकारी है ही नहीं…! कैसे समझेगा कि अगर चेन न लौटाई तो इतना बुरा हो सकता है उसके साथ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि अगर कहीं उसे इस र्दुभाग्यपूर्ण घटना के बारे में पता चलेगा, तो वह तुरन्त चेन लौटा देगा। मगर उसे तो पता तक नहीं। गुरूजी ने बताया, “राज्जे, गुनाहगार मेरी चेतावनी जानता है।”
“सो कैसे …गुरुजी…?”, मैंने पूछा। गुरुजी ने बताया, “वह दूसरी महिला जो उसे साथ लेकर आई थी और उसकी चेन गुम होने के बारे में बता रही थी, वही गुनाहगार है। उसी ने ही उसकी चेन चुराई है। वह सिर्फ दिखावे के लिए ही उसकी शुभ-चिन्तक बन रही थी।” …और फिर ऐसा ही हुआ उसके बेटे को बुखार हो गया और रात्रि के नौ बजे उसका बुखार बढ़ना शुरु होकर 104 डिग्री तक पहुंच गया। वह डर गई और पूरी रात जागती रही। रात्रि के तीन बजे उसका बुखार बढ़कर 105 डिग्री तक पहुंच गया, जो उसके लिए चेतावनी की घन्टी थी। वह व्याकुलता से सुबह होने की प्रतीक्षा करने लगी। जैसे ही सुबह के छ: बजे, वह दौड़ती हुई पड़ोसन के घर पहुंची और अच्छी तरह से ढूंढने के लिए उसका पर्स माँगा। जैसे ही उसने उसका पर्स लिया, उसे खोला, और बोली चेन मिल गई। असल में उसने वह चेन पहले से ही अपने हाथ में रखी हुई थी। पहले उसने चेन नीचे गिरा दी और फिर उठा कर उसे दिखा दी और कहा कि ढूंढने पर मिल गई है। आखिर वह चेन मिल ही गई। चेन वापिस करते ही उसके बच्चे का बुखार बिलकुल उतर गया। गुरूजी ने कहा, “बेटा, मैं कभी-कभी ये खेल-तमाशे किया करता हूँ ताकि लोग पाप करने से बच जायें।” गुरुदेव…! आपके खजाने में क्या और कितना कुछ है…!! आपके द्वारा किये गये कार्यों व चमत्कारों के बारे में कोई सोच भी नहीं सकता।
आप महान हो …सर जी, आप कुछ भी कर सकते हो बिलकुल वैसा, जैसा भगवान् करते हैं।
अपनी कृपा बनाये रखना, ओ महानतम्…..!!