गुरुजी क्रिकेट के शौकीन थे। वे कभी-कभी टी.वी. पर मैच देख लेते थे। अक्सर सीताराम जी, एस.के.जैन साहब तथा कुछ अन्य शिष्यों के साथ टी.वी. पर मैच देखने का आनन्द लेते थे। संयोग से एक दिन टी.वी. पर टेनिस का मैच आ रहा था और गुरुजी के साथ मैं भी बैठा, देख रहा था। एक टेनिस का खिलाड़ी होने के नाते, मैं उस मैच में बहुत मजे ले रहा था और सोच रहा था कि गुरुजी भी इस खेल में आनन्द ले रहे होंगे।
जब वह मैच अपने अन्तिम चरण तक पहुंच गया तो मैंने गुरुजी को एक खिलाड़ी की तरफ इशारा करते हुए कहा, “गुरुजी ये खिलाड़ी अब मैच जीत जायेगा….!!” गुरुजी बोले— “नहीं बेटा, ….मैच वो दूसरा खिलाड़ी जीतेगा।” मैंने गुरुजी की बात को ज़रा हल्के से लिया और अपना पक्ष रखते हुए बोला, “पर गुरुजी, उसे तो सिर्फ एक अंक ही चाहिए, वो तो एक मिनट में ही जीत जायेगा….!!” गुरुजी ने दुबारा कहा, “पर मैच तो दूसरे ने जीतना है, बेटा।” मुझमें इतनी क्षमता नहीं थी कि मैं गुरुजी से इस पर और अधिक वार्तालाब कर सकूँ। अतः मैं चुप हो गया। तभी उस खिलाड़ी ने वह अंक गवां दिया, जिससे मैं उसकी जीत की उम्मीद कर रहा था। आश्चर्य——- उस खिलाड़ी ने अपना दूसरा, तीसरा और चौथा अंक भी गवां दिया और आखिर वह गेम हार गया। ऐसा मैंने सोचा भी नहीं था, लेकिन ये तो खेल था। परन्तु आगे जो कुछ हुआ वो तो एक यादगार पल है। वह खिलाड़ी जो हार रहा था, अपना अगला गेम और फिर अन्तिम गेम जीत कर पूरा मैच जीत गया…!! जो किसी तरह से भी सम्भव नहीं लग रहा था….!! अविश्वस्नीय पहले वाला खिलाड़ी जो दो गेम जीतने के बाद सिर्फ एक अंक लेता और पूरा मैच जीत सकता था वो बेचारा एक अंक भी नहीं ले सका और सारी गेम दे बैठा। विश्वास नहीं होता कि हारने वाला उसके बाद चौथी और फिर पाँचवी गेम लेकर तीन दो के अनुपात से पूरा मैच जीत गया।
बुद्धि का प्रयोग करूं तो विश्वास ही नहीं होता सिर्फ एक मिनट ही चाहिए था पर यह क्या और कैसे हुआ, जब कोई जवाब नहीं मिलता तो मैं गुरुजी की तरफ देखता हूँ…!!
और उनके शब्द…. कि वो नहीं, दूसरा जीतेगा क्योंकि जीत हार का निर्णय हम पहले से ही तय कर चुके हैं राज्जे… | इसमें कोई शंका नहीं, कि वह मैच ‘गिनीज बुक ऑफ वल्ड रिकार्डज़’ में दर्ज होने लायक था। हाँ, लेकिन गुरुजी ने इसकी पूर्व घोषणा कर दी थी जिसे मेरे अलावा और कोई नहीं जानता। जो खिलाड़ी जीत रहा था उसे हारने वाले ने हरा दिया और सारे संसार ने इसे टी.वी. पर देखा। परन्तु गुरुजी इसका परिणाम जानते थे और इसका अन्दाज़ा ना तो मैच व्यवस्थापक (Organiser) और ना ही दर्शकों को ही था। इस अद्भुत मैच का परिणाम देखते हुए, मेरे पास कोई और शब्द नहीं, सिवाय गुरजी की निम्न लिखित पंक्तियों के–
“बेटा, जीत-हार का फैसला तो हम, मैच शुरु होने से पहले ही कर देते है।” गुरुजी भविष्य के सम्पूर्ण ज्ञाता हैं, …जैसा भगवान। वह ही जानते हैं कि अगले क्षण क्या होने वाला है।
सिर्फ और सिर्फ भगवान् ही हैं
जो ऐसा जान सकते हैं।