चारू को संगीत सिखाने वाला अध्यापक, इन्दु प्रकाश यहाँ अक्सर आया करता था। एक दिन अभ्यास कराते समय उसे देर हो गयी और वो रात को पंजाबी बाग ही रुक गया। ऊपर गुरुजी के कमरे में फर्श पर गद्दा और बिछौना लगा दिया गया और वो वहीं सो गया। सुबह जब मैं उठकर बाहर गया तो देखा कि वह ड्राईंग रुम के सोफे पर लेटा हुआ था। वह मुझे देखकर उठ गया और मुझे नमस्ते (Good Morning) कहा। विस्मय से मैंने उससे पूछा कि वह ड्राईंग रुम में क्यों सो रहा है तो उसने कुछ चौंकाने वाली बात बताई।
कहने लगा, “मैं गुरूजी के कक्ष में सो रहा था। आधी रात के समय किसी ने मुझको दो-तीन बार थप्पड़ मारा, लेकिन मैंने वहाँ किसी को देखा नहीं। मैं डर गया और कमरे से बाहर भागा। मैं तो घर जाना चाहता था, लेकिन बाहरी फाटक बन्द था। अतः मैं घर तो नहीं जा सका पर ड्राईंग रुम में आकर सोफे पर बाकी की आधी रात गुजारी।” ताकि सुबह हो और गेट खुलने पर घर जा सकूँ।
पंजाबी बाग स्थान में ऊपरी मंजिल पर गुरुजी का कमरा है। यह वो कक्ष है जहाँ 1991 में गुरुजी स-शरीर विराजमान थे। गुरु-पूर्णिमा के दिनों में हजूर साहिब ने शरीर का तो त्याग कर दिया पर अदृश्य रुप में वहाँ आज भी विराजमान हैं। उनको प्रणाम करने, धूप जलाने के लिए या उनको चाय पिलाने के लिए गुरुजी का शिष्य अथवा परिवार का कोई सदस्य प्रतिदिन जाता है। कोई गुरुभक्त भी कुछ खास प्रार्थना हेतु वहाँ जा सकता है। इस कक्ष का प्रबन्ध गुरूजी के कुछ खास बच्चों के नियंत्रण में है। जिनमें प्रमुख हैं सुखवंत सिंह, तिवारी और नीलमा। नीलमा अनूप ऑबराय की धर्मपत्नी है।
यह कक्ष विशेष पूजा का स्थान है। परिवार के सदस्यों के अलावा वहाँ कोई प्रवेश नहीं करता और वो भी यदि कुछ प्रार्थना आवश्यक है तो। कोई भी इसे लापरवाही से नहीं ले सकता और शायद ही वहाँ कोई सोता हो, जब तक गुरुजी के शिष्य या कुछ प्रमुख परिवार के सदस्य के द्वारा अनुमति न हो।
कोई वरदान पाने के इच्छुक भक्तजन, उनके चरण-कमलों में माथा टेकना चाहते हैं उन्हें उनके कक्ष में जाने और बिस्तर पर पैरों की तरफ माथा टेकने की अनुमति दी जाती है। शांति या कुछ आध्यात्मिक कारणों के लिए, वे शिष्य से अनुमति की प्रार्थना कर सकते हैं लेकिन केवल दिन के समय में, जब तक सेवा जारी रहती है।
उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि— गुरूजी रात्रि के समय अपना कमरा किसी दूसरे के साथ बाँटना पसंद नहीं करते हैं। …मालिक हैं जिसे चाहेंगे वो तो सो सकता है, अन्यथा दूसरा कोई नहीं—
हालांकि इस बात के सबूत हैं कि कुछ लोगों को विशेष रुप से उनके कमरे की सफाई करने की अनुमति मिल जाती है
और कुछ लोगों को वहाँ फर्श पर रात बिताने की अनुमति मिल जाती है और उनकी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं। जैसे कि मुम्बई के एक जोड़े को पुन्चू बिटिया ने आदेश दिया था कि वह 21 दिन गुरुजी के कमरे में सोये…! परिणाम अद्भुत था। शादी के कई साल बाद उन्हें बच्चे की प्राप्ति हो गयी।
वह जोड़ा मुम्बई स्थान पर नियमित रुप से आता है जहाँ गुरुशिष्य सन्नी और उसकी पत्नी पुन्चू सेवा करते हैं। तो इन्दु प्रकाश को रात को थप्पड़ पड़ने का भेद खुल सा गया। हमने स्पष्ट जान लिया कि गुरुजी अपने कक्ष में विराजमान रहते हैं यह भी स्पष्ट हो गया कि बिना उनकी आज्ञा के वहाँ रात बिताने की अनुमति नहीं। यह काफी ध्यान देने वाली बात है।