श्रीकृष्णा मुम्बई के एक स्थान पर सेवा करता है और गुरजी को निरपेक्ष रुप से समर्पित है। कुछ सालों पहले, गुरुजी ने गुड़गाँव स्थान पर ही गुड़गाँव की एक और भक्त कन्या कमलेश के साथ उसकी शादी कर दी थी। शादी के बाद वे मुम्बई में रह रहे है और दो होनहार बेटों के साथ खुश हैं।
जब पहले बेटे का जन्म हुआ था और श्रीकृष्ण उसे गुड़गाँव लाया तो गुरुजी बहुत खुश हुए और बच्चे को गोद में बिठा लिया। मुझे याद है, गुरजी ने लड़के को देखा और उसे “मराठा” नाम (महाराष्ट्र का पारम्परिक नाम) से संबोधित किया। तब से, मैं उसे ‘मराठा’ के नाम से ही पुकारता हूँ ….हालाँकि वह अब बड़ा हो गया है और अपने नियमित जीवन में उमेश के नाम से प्रसिद्ध है। श्रीकृष्णा की तरह ‘मराठा’ भी गुरुजी का एक असाधारण प्रेमी और भक्त है।
वर्ष 2007 की बात है। एक दिन रात का समय था। खाने के बाद श्रीकृष्णा अपने बिस्तर पर बैठा था और सोने की तैयारी कर रहा था कि अचानक वह उठा और घर से बाहर निकल गया। उसे नहीं मालूम कि वह कहाँ जा रहा था। वह एक अनजान गन्तव्य स्थान की तरफ खिंचा चला जा रहा था। वह अपने आपे में नहीं था और एक अनजान दिशा की ओर बढ़ रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई अदृश्य शक्ति उसे नियंत्रित कर रही हो।
वह चलता गया और फिर एक ब्रैड-बिस्कुट की दुकान पर पहुँच गया। उसने ₹130/- मूल्य के क्रीम बिस्कुट खरीदे और अपने घर लौट आया। बिस्कुट टेबल पर रखने के बाद वह सो गया। सुबह उसकी पत्नी ने इस तरह की थोक खरीद के बारे में पूछा। क्योंकि उनके परिवार में कोई ऐसा नहीं था जो क्रीम बिस्कुट का शौकीन हो। श्रीकृष्णा ने उत्तर दिया कि वास्तव में ही उसे याद नहीं कि उसने इस तरह के कोई बिस्कुट खरीदे हैं। किसी तरह यह चर्चा थोड़ी बहस के बाद समाप्त हो गई।
शाम को श्रीकृष्णा का बेटा ‘मराठा’ श्रीकृष्णा के पास आया और पूछने लगा, “पिताजी, …किसी ने आपको कहा था क्रीम बिस्कुट खरीदने के लिए…?” अब श्रीकृष्णा आक्रमक हो गये। ‘मराठा’ ने कहा कि उसकी पूछताछ का एक ठोस कारण है। उसने बताया कि दो दिन पहले रात में उसने एक शानदार सपना देखा था जब गुरुजी आए और उसे आशीर्वाद दिया। तब उसने एक बच्चे के तरह कहा था, “गुरुजी, मैं क्रीम बिस्कुट खाना चाहता हूँ। गुरुजी ने कहा, “ठीक है…! तुम्हें दो दिनों के बाद मिल जायेंगे …और आज ठीक दो दिनों के बाद मैं क्रीम बिस्कुट खा रहा हूँ। मैं सिर्फ आश्वस्त होना चाहता हूँ कि क्या गुरुजी ने आपको आदेश दिया था या फिर आप इन्हें अपनी मर्जी से लाये हो। श्रीकृष्णा स्तब्ध रह गया। क्योंकि एक अदृश्य शक्ति जिसने कल रात को उसे बिस्तर से उठाया और क्रीम बिस्कुट की दुकान पर पहुंचने के लिए बाध्य किया था। जब तक ‘मराठा’ ने श्रीकृष्णा को नहीं बताया तब तक श्रीकृष्णा को इस सच्चाई का पता नहीं था कि वह अदृश्य शक्ति जिस पर वह संचालित था और उसे बिस्कुट की दुकान तक घसीटा था, वे स्वम् “गुरुजी” ही थे। अतुल्यनीय……!
गुरुजी अपने बच्चों की मांगों को
अद्वितीय तरीके से पूरा करते है।
अकल्पनीय दिव्य मास्टर! सर्वज्ञ एवम् सम्पूर्ण गुरुदेव,
आपको प्रणाम जी