पप्पू-बिट्टू-गग्गु और निक्कू, यह चार लोग ऐसे थे जो गुरुजी की व्यक्तिगत सेवा में संलग्न रहते थे। लोगों से मिलकर जब गुरुजी अपने कमरे में आते तो ये उन्हें चाय वगैरह पिलाते और उनके आराम का ध्यान रखते थे। प्रतिदिन की सेवा के कारण यह चारों, गुरुजी को अति प्रिय थे। अद्भुत घटनाओं में एक ऐसी घटना, जो बाकी सबसे भिन्न और ऊंचे स्तर पर देखी गयी, उसका वृतान्त दिया जा रहा है।
1980 की गर्मियों में रात के 9 बजे के करीब, पप्पू अपनी गुड़गाँव फैक्ट्री में प्रेस मशीन पर काम कर रहा था। उसे लगा कि शायद कुछ गिरा है। अचानक उसने अपने हाथ की ओर देखा तो पता चला कि उसकी ऊँगली कट कर गिर गयी है और हाथ खून से लथ-पथ है।
बिटू को साथ लेकर वह फौरन गुरूजी के पास पहुंचा और सारी घटना का ब्यौरा दिया। गुरूजी ने कहा कि ऊँगली का कटा हुआ टुकड़ा दो। लेकिन पप्पू ने नकारते हुए कहा कि उसका कोई पता नहीं चला और वे तो जल्दी में भाग कर स्थान पर आ गए हैं।
गुरूजी ने कहा कि चलो कोई बात नहीं, सब ठीक हो जाएगा। जाओ अपना काम करो।
बस इतना ही…!
पप्पू डॉक्टर के पास नहीं गया और घर पर ही हल्दी तेल लगा कर घरेलू पट्टी बाँधता रहा। करीब तीन सप्ताह बीते और ऊँगली का घाव भर गया। आश्चर्य की बात यह हुई कि घाव भरने के साथ-साथ ऊँगली उग गयी और उससे बड़ा आश्चर्य यह था कि नाखून भी उग आया। ऐसा पहले कभी न देखा और न ही कभी सुना।
आज ग्यारह सितम्बर, 2011 को मैं पप्पू को पंजाबी बाग स्थान पर मिला और उससे उपरोक्त घटना का पूरा विवरण सुना। उसकी ऊँगली को अच्छी तरह से देखा जिस पर नाखून भी उगा हुआ है। मगर ऊँगली की लम्बाई कुछ छोटी है।
बिना डॉक्टरी इलाज के घाव भर गया, यह तो समझ में आ गया, लेकिन ऊँगली उग कर लम्बी हो गयी और तो और नाखून भी उग आया, यह तो समझ से बिलकुल परे है … और पहले कभी नहीं सुना।।
* क्या किया होगा गुरुजी ने…?
* क्या कहा होगा ऊँगली को …और
* उस ईश्वरीय शक्ति को जिसने ऊँगली उगा कर लम्बी कर दी और नाखून भी उगा दिया।
गुरुजी…, ऐसा लगता है कि इन सबके साथ आपकी सीधी और खुली बातचीत है।
मेरा साष्टांग प्रणाम व मेरी प्रार्थना सुनें और मुझमें सामर्थ्य दें कि मैं आपकी शोभा का गुणगान कर सकूँ…
प्रणाम जी…