दुबारा, एक बार फिर मुम्बई में.., शाम को सेवा शुरु हुई। दिन में गुरूजी अपने शिष्यों को साथ लेकर कुछ परिवारों के घर गये थे क्योंकि उनके घरों में उनकी शारीरिक उपस्थिति जरुरी थी। सूर्यास्त के बाद ‘वीरजी’ के घर पर सैंकड़ो भक्त एकत्रित हो गये और गुरुजी ने सेवा प्रारम्भ कर दी।
गुरुजी ने एक-एक करके लोगों से मिलना शुरू किया और उन्हें ठीक करने लगे। कुछ लोगों को वे अपने शिष्यों के पास भेज रहे थे। वे शिष्य गुरुजी के निर्देशानुसार दूसरे कमरे में बैठकर सेवा कर रहे थे। सन्दीप सेठी और मैं, एक साथ एक कमरे में लोगों से मिल रहे थे।
एक जवान पारसी दम्पति हमारे पास आये और बोले कि हमें गुरुजी ने आपके पास भेजा है। संदीप सेठी ने उस लड़के से उसकी समस्या के बारे में पूछा तो वह अपनी पत्नी की तरफ इशारा करते हुए बोला, “गुरुजी, यह मेरी पत्नी है और पिछले छः साल से इसकी बाँयी टाँग कुछ डिग्री तक मुड़ी हुई हैं। यह सीधी नहीं हो पा रही है। इस कारण यह लंगड़ा कर चलती है। इसकी टाँग को कोई भी डॉक्टर ठीक नहीं कर पाया। पिछले छः सालों से इसका इलाज चल रहा है फिर भी इसकी टाँग सीधी नहीं हो पा रही। सारे इलाज फेल हो गये हैं। इसके इस दुख के कारण हम बहुत परेशान है।”
सुनने के बाद संदीप सेठी ने उस लड़की को कुर्सी पर बिठाया और उससे कहा, “अपनी टाँग सीधी करो” वह बोली कि उसके लिए ऐसा करना सम्भव नहीं। यदि इस पर ज़रा सा भी जोर देती हूँ तो असहनीय दर्द होती है। यह सुनते ही संदीप को गुस्सा आ गया और उसने अपने पैर से उसकी टाँग को नीचे से जोर से हिट किया और कमाल हो गया। उसकी टाँग सीधी हो गयी।
अविश्वस्नीय……!! वह लड़की और उसका पति आश्चर्य चकित रह गये…!! संदीप और मैं भी अकल्पनीय उच्च विमान में उड़ रहे थे। हम एक दूसरे को देखकर इतने खुः श थे कि खुः शी हज़म ही नहीं हो रही थी। पिछले छः वर्षों से टेढ़ी टाँग, केवल एक पैर मारने से चमत्कारिक रुप से सीधी हो गई….!! अपनी
आँखों पर विश्वास नहीं हो पा रहा था। हम गुरुजी को बताने के लिए उनके पास गये तो……
वे मुस्कुराये और बोले—– “ये ही भगवान की सच्ची भक्ति है। इस लड़की में जो भगवान बसता है आज वह उसके घुटने की समस्या से मुक्त हो गया और आप पर बहुत खुश है।” …जाओ, जो मर्जी में आये करो।
क्या अधिकार दिया उन्होंने….!!
…सबको ठीक कर दो।
पूरे संसार में जहाँ तक मैंने देखा और समझा है यह एक ऐसी अनोखी और अतुलनीय सक्षमता है, जिसकी किसी के साथ तुलना करना सम्भव नहीं है। लेकिन जहाँ तक मैं जानता हूँ गुरुजी सब कुछ देने वाले और करने वाले हैं। इसका कोई जवाब या हिसाब नहीं है मेरे पास….।।
वाह गुरुजी…!!
…बस आप ही आप हो…!!
सिर्फ आप।
आपको हजारों लाखों प्रणाम
….साहेब जी।