सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से लगातार, पंजाबी बाग स्थान पर गुरुजी के आदेश व आध्यात्मिक नियन्त्रण में सेवा होती चली आ रही है। लोग अपने दुख व समस्यायें लेकर आते और उन्हें दूर करवा कर सन्तुष्ट होकर गुरुजी की प्रशंसा करते हुए, खुः शी-खुः शी वापिस जाते हैं।
स्थान के इस पवित्र कार्य की चर्चा सुनकर, एक सिख युवक आया और उसने अपने छोटे भाई के स्वास्थ्य के बारे में बताया। उसका भाई एक बैंक कर्मचारी था और पिछले चार महीने से कुछ भी ठोस खाना नही खा पा रहा था और ना ही अपने काम पर जा सकता था। वह कुछ चबाता और उसे निगलने की कोशिश करता तो बुरी तरह से काँपने लगता तथा जो कुछ भी खाया हो, उल्टी कर देता था।
कोई दवाई काम नहीं कर रही थी और डॉक्टर भी अपने आपको इस परिस्थिति में लाचार महसूस कर रहे थे। इतनी लम्बी बीमारी का अभी तक पता नहीं लग पा रहा था। हम उसकी जिन्दगी और नौकरी के बारे में बहुत चिन्तित हैं। उसने कहा, “हमने लोगों से यहाँ की बहुत तारीफ़ सुनी है और पूरे विश्वास के साथ आपके पास आये हैं गुरुजी, कृप्या उसकी रक्षा कीजिए।”
मैंने उस लड़के को बुलाया और गुरजी के आदेशानुसार उससे सख्ती से पेश आया। मैंने गिलास में से एक चूंट पीकर, बाकी का जल उसे पिला दिया। उसने एकदम अव्यवहारिक रुप से बर्ताव करना शुरु कर दिया। उसे ऐसा लगा जैसे कि उसे आग पिला दी गई हो।
इस तरह के मरीजो के माथे पर स्ट्रोक्स (Strokes) लगाकर जूठा जल पिलाने का गुरुजी का आदेश है। उसके बाद उसे लौंग, इलायची व जल दिया जाता है।
अगले दिन, उसका भाई स्थान पर आया और कहने लगा कि वह बड़ी अजीब सी परेशानी महसूस कर रहा है। ऐसा लगता है कि उसे उल्टी आयेगी। उसी समय मैंने गुरुजी से प्रार्थना की और तुरन्त मुझे उनका आदेश मिला। मैंने उसे, उसकी उल्टी को किसी भी दवाई की मदद से रोकने के लिए मना कर दिया। मैंने उससे कहा कि उसे उल्टी आने दो।
उसने बात मान ली और उसके परिवार पर कृपा हो गई।
वे उस लड़के को लेकर स्थान पर आये और अपने साथ तीन इन्च लम्बी और करीब आधा इन्च मोटी, एक हरी मिर्च अपने साथ लाये जो उसकी उल्टी में निकली थी और वह अविश्वस्नीय रुप से बिलकुल ताज़ी थी।
लड़के ने उत्सुकतावश पूछा, “मैंने पिछले कई महीनों से हरी मिर्च ना ही खाई है और ना ही निगली है। लेकिन यह साबुत हरी मिर्च मेरे पेट में कहाँ से आ गई।” कृप्या इस पर प्रकाश डालिए…….।।
……इसका जवाब सिर्फ गुरूजी के पास है।
परन्तु महत्वपूर्ण और जानने योग्य बात यह है कि वह लड़का बिल्कुल ठीक है। वह ठीक से खाता है और एक स्वस्थ सामान्य जीवन बिता रहा है।
….धन्य हैं गुरुदेव आप। लोग कैसी कैसी अजीब तरह की बीमारियाँ लेकर आते हैं और आप बिना किसी दवाई के उसे ठीक कर देते हो। ना तो मरीज को और ना ही डॉक्टर को समझा आती है कि बीमारी क्या है और इलाज क्या हुआ है। यदि इस ज्ञान की प्राप्ति करना चाहे और पूर्ण समर्पण करे तो मुझे विश्वास है कि गुरुजी अवश्य कृपा करेंगे उस पर। …..हर कोई उनका, “कृपा-पात्र’ बन सकता है।
कृपा बनाये रखना गुरुजी.. ||