एक बार सुबह-सुबह, एक लगभग सत्तरह वर्षीया लड़की, जिसका नाम कमलेश है और वह मुज्जफर नगर, उत्तर प्रदेश की रहने वाली थी, अपने माता-पिता के साथ गुडगाँव, गुरुजी के पास आई। उसकी एक टाँग मुड़ी हुई थी वह सीधी नहीं होती थी। इस कारण वह चलने में असमर्थ थी। गुड़गाँव स्थान पर गुरुजी के प्रिय सेवादार पूरन उनका संदेश लेकर गुरुजी के पास गये तो गुरूजी ने उनके पूरे परिवार को अपने कमरे में बुला लिया। गुरूजी ने, उस लड़की के माथे पर हाथ रखा। उस लड़की के पिता, जिसकी आयु लगभग 45-50 वर्ष की होगी, बहुत विनम्रता से बोला—- ”गुरुजी, यह मेरी इकलौती लड़की है। यह अपनी छाती और पेट में हमेशा दर्द बताती है, हमने इसका अस्पताल में बहुत इलाज करवाया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा…. | अब हम बड़ी उम्मीद के साथ आपका आशीर्वाद लेने आये हैं। कृप्या आप इसे इसके कभी खत्म न होने वाले, इस दर्द से मुक्त कीजिए तथा इसे जीवन पर्यन्त स्वस्थ रहने का आशीर्वाद भी दीजिए।”
गुरुजी ने उस लड़की को जल दिया और उसे अगले दिन आने का आदेश दिया और वे वापिस चले गये।
अगले दिन गुरुजी ने, पूरन को एक गिलास में जल जूठा करके देते हुए आदेश दिया—- ”ये तुम उस लड़की को अपने हाथ से पिलाओ।” पूरन, उस लड़की को स्थान पर ले आये और जैसा गुरूजी ने कहा था, वैसे ही उस लड़की को जल पिला दिया।
जल पीने के कुछ देर बाद ही, वह लड़की परेशान हो गई और कारपेट पर इधर-उधर लोटने लगी और जोर-जोर से चिल्लाने भी लगी। लेकिन तभी अचानक वह बैठ गई और उसने उल्टी कर दी।
ये क्या? उस लड़की की उल्टी में…….काँच की टूटी हुई चूड़ियाँ और गाँठ लगे हुए धागे निकले। यह अविश्वसनीय था पूरन वह चूड़ियाँ और धागे, एक अखबार के कागज़ पर रखकर, गुरुजी के कमरे में ले आये। मैंने भी यह अपनी आँखों से देखा। मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था क्योंकि आज से पहले, मैंने या हममें से किसी और ने ऐसा नजारा कभी देखा नहीं था कि किसी के मुँह से टूटी हुई चूड़ियाँ और वह भी धागों से बंधी हुई निकली हों।
मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा था कि ये कैसे सम्भव हो सकता है कि कोई इस तरह धागे से कस के बाँध कर, काँच की टूटी हुई चूड़ियो को एक साथ निगल सकता है और अब उल्टी करके बाहर निकाल सकता है। गुरुजी ने उसके परिवार वालों को तीन दिन बाद आने का आदेश देकर वापिस भेज दिया।
तीन दिन बाद : गुरूजी ने, पूरन को बुलाया और उसी तरह जल जूठा करके उन्हें, उस लड़की को पिलाने के लिए दिया और पूरन ने फिर वैसा ही किया। पिछले सप्ताह की भाँति फिर से वैसा ही घटित हुआ, उसी तरह लड़की कारपेट पर दायें-बायें लोटने लगी, उसकी छाती व पेट में फिर से तेज दर्द हुआ, वह फिर उसी तरह चिल्लाई और अन्त में उल्टी कर दी।
उस दिन भी बहुत बड़ी संख्या में वैसी ही टूटी हुई काँच की चूड़ियाँ और धागे, उल्टी में बाहर आ गये। इस बार हम सब चुपचाप खड़े, ये सब देख रहे थे। कोई कुछ भी नहीं कह पा रहा था। गुरूजी ने उसके माता पिता को कहा— ”इसके शरीर के अन्दर अभी बहुत सारी चूड़ियाँ है, हम उन्हें उल्टी के रास्ते बाहर निकाल लेंगे, इसलिए तुम इसे तीन चार दिन बाद, फिर ले आना।”
यही प्रक्रिया कुल पाँच बार दोहराई गयी। उसके बाद गुरुजी बोले—- “यह लड़की अब बिलकुल ठीक है, सारी चूड़ियाँ और धागे बाहर आ गये हैं और उस लड़की की टाँग भी सीधी हो गई है। अतः अब इसका जीवन सुरक्षित है। लेकिन इसकी दाहिनी तरफ का आपरेशन हो गया हैं इसलिए इसको पुत्र-प्राप्ति नहीं हो सकेगी, इसको केवल लड़कियाँ ही पैदा होंगी।”
गुरुजी ने उसे आदेश दिया कि वह सिर्फ अपनी माँ की रसोई में बनी खीर के अलावा, बाहर की बनी खीर या दूध से बनी कोई चीज ना खाये।
कुछ हफ्तों बाद, उसके माता-पिता फिर उसे लेकर आये और गुरूजी से बोले कि उसे दुबारा से पेट और छाती में दर्द है। गुरुजी ने अपना हाथ उसके माथे पर रखा और बोले—- ”इसने हमारी आज्ञा का पालन नहीं किया हैं। इसने जरुर किसी रिश्तेदार के घर खीर खाई है”
उन्होंने फिर से एक गिलास जल जूठा किया और पूरन को बुलाया, उसे स्थान के कमरे में बैठा कर पिलाने को बोला। जल पीते ही फिर उसी तरह से वह लड़की कारपेट पर उल्टी-सीधी लोटने लगी, दर्द से चिल्लाई और उसने उल्टी कर दी।
लेकिन इस बार चूड़ियाँ बाहर नहीं निकली, सिर्फ पानी ही बाहर आया। पूरन अपने हाथों में बड़ा सा न्यूज पेपर लेकर पहले से ही तैयार खड़े थे। जो कुछ निकला, उसे उसी तरह गुरुजी के कमरे में ले जाकर दिखाया।
गुरुजी ने देखा, उसमें एक मुड़ा हुआ कागज़ का टुकड़ा भी था। गुरूजी ने उसके माता-पिता को तीन चार दिन बाद, लाने के लिए कहा। लड़की गुरुजी के पास बार-बार आती रही। गुरुजी उसके लिए जूठा जल, पूरन को देते और वे उसे पिलाते फिर उसी तरह का नजारा लडकी उल्टी कर देती।
फिर एक दिन उल्टी का रंग कुछ पीला और नारंगी था और उसमें एक मुड़ा हुआ, आधा वर्ग इन्च चौड़ा कागज़ का टुकड़ा निकला। गुरूजी मुस्कुराए और उसे आशीर्वाद दिया। उन्होंने उसे आदेश दिया कि पूरे साल भर उसे, बाहर का कुछ नहीं खाना है।
गुरुजी ने उसे, एक गिलास में जूठा करके जल दिया, लेकिन इस बार उसे कोई दर्द नहीं हुआ और न ही कोई उल्टी। इसके बाद उसने अपनी आम जिन्दगी जीना शुरु कर दी।
आज उस लड़की की शादी हो चुकी है उसके बच्चे भी है, लेकिन बेटा नहीं हैं, केवल लड़कियाँ ही हैं।