ट्रेनिंग के दौरान, परीक्षक (Examiner) ने एक दिन गुरुजी को चेतावनी दे डाली कि ”वह उन्हें फाईनल परीक्षा में फेल कर देगा।” उस समय गुरुजी ने भूमि सर्वेक्षण विभाग में सहायक वैज्ञानिक (Assistant Scientist) के पद का, कार्यभार संभाला था।
तब वे खाली समय में लोगों की सेवा करते और उनसे बातचीत करते थे। उनके कैम्प के इंचार्ज ने यह देखा और एक दिन गुरुजी को कहा– ‘आप अपनी पढ़ाई में ध्यान दीजिए ना कि लोगों से बातचीत में।” वह नहीं जानता था कि गुरुजी क्या कर रहे हैं? वह उनसे एक प्रकार से चिढ़ने लगा। आखिर झुन्झलाहट में एक दिन उसने गुरुजी को चेतावनी दे डाली कि वह उन्हें फाईनल परीक्षा में फेल कर देगा। फाईनल परीक्षा का दिन आ गया और सब लोग परीक्षा देने के लिए बैठे। वही ऑफिसर गुरुजी पर बड़ी गौर से नज़र रखे हुए था। वह हैरान था कि गुरुजी बड़े आराम से पूछे गये, सभी प्रश्नों के उत्तर लिख रहे थे और वह भी बिलकुल ठीक-ठीक। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह कैसे सम्भव हो सकता है….!! क्योकि वह अच्छी तरह से जानता था कि गुरुजी ने अपनी पढ़ाई की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दिया था। वह अत्याधिक परेशानी की हालात में बाकी लोगों से बोला, ”….ठीक है, देखते हैं ये पैक्टीकल परीक्षा में कैसे पास होता है?” पत्थरों की पहचान करने के लिए प्रेक्टीकल परीक्षा रखी गयी थी। बाकी लोगों को तो उसने दो तरह के ही पत्थर एक सेन्ड स्टोन और दूसरा लाईम स्टोन पहचानने को दिये। लेकिन जब गुरुजी का नम्बर आया तो उसने बहुत से और भी पत्थर मिलाकर उनके सामने मेज पर रख दिये और सोचा कि इन सब को पहचानना गुरुजी के लिए असम्भव होगा। जब उसने गुरुजी से पूछा, तो कमाल हो गया— गुरुजी ने तो सबको अच्छी तरह से पहचान कर सही-सही जवाब दे दिया। वह ऑफिसर यह सब देखकर दंग रह गया। उसके मुँह से एक शब्द भी नहीं निकल पाया। परीक्षा का नतीजा आया गुरुजी पास हो गये और वह भी पूरे बैच में द्वितीय स्थान पर।
जिज्ञासावश मैंने गुरुजी से पूछा— ‘गुरुजी, आप द्वितीय स्थान पर क्यों आप प्रथम स्थान पर क्यों नहीं आये…?”
गुरूजी बोले— ”बेटा, हमारे बैच में एक लड़का था। जो अपने पूरे कैरियर में हमेशा प्रथम ही आता था और मैं नहीं चाहता था कि उसके कैरियर का रिकार्ड खराब हो।’
क्या बात है……!!
गुरुजी ने बिना एक दिन की भी पढ़ाई किये हुए, परीक्षा में द्वितीय स्थान प्राप्त किया। पत्थरों को जाने बिना ही उन्होंने पत्थरों के बारे में ठीक-ठीक जानकारी दी। अपने से ज़्यादा अपने साथी का ध्यान रखा कि कहीं उसके कैरियर का रिकार्ड खराब न हो जाये।
ऑफरीन….. गुरुदेव……