एक दिन की बात है, देर शाम को गुरुजी, पंजाबी बाग आये और हमेशा की तरह लोग उनके दर्शन के लिए आना शुरु हो गये। तभी मेरी पत्नी गुलशन की एक सहेली, गुरुजी के पास आयी और उनसे प्रार्थना करने लगी कि वह अपने लगातार होने वाले सिर दर्द से बहुत परेशान है। गुरूजी ने अपना बाँया हाथ उसके सिर पर रखा और उसके माथे के बीचो-बीच स्ट्रोक्स लगाने शुरु कर दिये। बस मुश्किल से दो मिनट हुए होगे कि वह महिला बिलकुल दर्द मुक्त हो गई।
गुरूजी ने उससे, बड़े वीरवार के दिन गुड़गाँव जाकर सवा रुपये की, ‘मीठी फुल्लियों का प्रसाद’ चढ़ाने के लिए कहा और यह भी कहा, कि…
…ऐसा करने से यह दुबारा कभी नहीं होगा।