बेलीराम तक्खी, गुरुजी के एक शिष्य थे। वे अपनी बड़ी लड़की की शादी के लिए बहुत परेशान थे तथा अब उन्होंने अपना धैर्य भी खो दिया था।
उनकी लड़की अपने चाचा, सीताराम जी के पास आयी और उनसे बोली, “उसके बाऊजी रोज़ाना उसे बुरा-भला कहते हैं और उसकी शादी में देरी होने के लिए भी उसे ही दोषी मानते हैं। उसके सुन्दर न होने का दोष भी उसे ही देते हैं और कहते हैं कि उससे कोई भी शादी नहीं करेगा।”
बेलीराम का व्यवहार बहुत रुखा हो गया था। अतः लड़की ने अपने पिता के घर जाने के बजाय सीताराम जी के घर में ही रहना उचित समझा।”
सीताराम जी, जो गुरुजी के मुख्य शिष्यों में से एक थे, गुरूजी के पास गये और बेलीराम के इस व्यवहार की शिकायत की। गुरुजी, सीताराम जी को साथ लेकर बेलीराम के घर चले गये। बेलीराम बहुत परेशान थे और गुरूजी से बार-बार यही कहने लगे कि उम्र बढ़ने के कारण कोई उससे शादी नहीं करेगा। इस पर गुरुजी ने कहाः
“सोलह तारीख को ये लड़की डोली में होगी।”
यह सुनकर बेलीराम बोले, “यह कैसे सम्भव हो सकता है? सोलह तारीख तक तो सिर्फ बीस दिन ही बचे हैं।” लेकिन गुरुजी ने उन्हें चुप करा दिया।
कुछ दिन ही बीते कि अमेरिकन एक्सप्रेस बैंक के ऑफिस में, जहाँ सीताराम जी काम करते थे एक नवयुवक आया और उनसे बोला कि वह अमेरिका से आया है और सीताराम जी के गाँव, जो हिमाचल प्रदेश में है वहीं का रहने वाला है। वह आगे बोला, “मैं जानता हूँ कि जो कुछ मैं आपसे कहने जा रहा हूँ वह मुझे नहीं, अपितु मेरे बड़ों को कहना चाहिए लेकिन मैं अपने माता-पिता को पहले ही खो चुका हूँ और मेरे एक बड़े भाई और भाभी हैं, जिन्हें मेरी इस बात से कोई सरोकार नहीं है।”
सीताराम जी बोले, “जो कुछ कहना चाहते हो, खुलकर बताओ।” वह बोला, “अमेरिका में बसने के बाद जब मैं अपने गाँव हिमाचल प्रदेश में वापिस आया तो वहाँ के कुछ बड़े लोगों ने मेरे विवाह के लिए एक योग्य लड़की के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि आपके उच्च-परिवार में आपके बड़े भाई के घर एक विवाह योग्य लड़की है। मैं आपके सामने हूँ आप जो कुछ भी मेरे बारे में जानना चाहते हैं, जान सकते हैं।”
इस तरह अचानक हुई बातचीत से जिसकी कोई उम्मीद ही नहीं थी तथा वह भी अपने आप लड़के के मुँह से सुनकर सीताराम जी अचम्भित रह गये। उन्होंने बेलीराम से पूछे बिना ही उस लड़के को अपने किसी बड़े को इस विषय पर बात करने के लिए बुलाने को कहा।
कुछ दिनों बाद वह लड़का, अपने साथ अपने बड़ों को लेकर आया। इस विषय पर सारी बातचीत हो जाने के बाद विवाह की तारीख पक्की कर दी गई।
गुरुजी, अपने अन्य शिष्यों के साथ, इस शादी के समारोह में स्वयं भी मौजूद थे। शादी का समारोह हुआ—-
….और बेलीराम की लड़की ठीक उसी दिन अर्थातः सोलह तारीख को ‘डोली’ में थी।
बड़े आश्चर्य की बात है—– उसकी शादी के बीस दिन पहले गुरूजी उसकी शादी की तारीख जानते थे।
ये भविष्य तो सिर्फ भगवान ही जान सकते हैं।
अब वह लड़की अमेरिका में है, उसके खूबसूरत बच्चे भी हैं और वह खुशी-खुशी अपने पति रमेश के साथ रह रही है।