एक बार गुड़गाँव स्थान पर एक महिला को उसके चार बेटे अपने कंधों पर उठा कर लाये। वह बहुत बीमार थी। अगर उसको एक भी झटका लग जाता तो वह अपने बेटों को गालियाँ देने लगती।
जब गुरुजी ने उसे आशीर्वाद दिया तो उसका पेशाब निकल गया, जिसका रंग चूने के पानी जैसा सफेद था।
लौंग, इलायची और जल लेने के उपरान्त, जब वह चली गई तो मैंने प्रार्थना की—- “गुरुजी, वह बहुत अधिक बीमार है और मेरी यह इच्छा है कि आप उसे जल्दी ठीक कर दो।”
उसकी समस्या बहुत गम्भीर थी। अगर उसे मामूली सा भी झटका उसे उठाने या नीचे लिटाने में लग जाये तो वह जोर से चिल्लाने लगती थी। मैंने गुरुजी से कहा कि गुरुजी मुझे उस पर दया आ रही है और मैं चाहता हूँ कि आप उसे अभी ठीक कर दो।
इस पर गुरुजी बोले—- “राज्जे, क्या तू जानता है कि इस महिला ने कितने घर बरबाद किये हैं?”
वे आगे बोले—- “इस महिला ने कितने ही लोगों के ऊपर, गलत शक्तियों का प्रयोग करके उनका जीवन नरक बना दिया है।”
गुरुजी ने कहा कि वे उसे ठीक तो कर देंगे लेकिन धीरे-धीरे…
उन्होंने आगे कहा,
“जब मैं उसे आशीर्वाद दे रहा था तो अनेक लोगों की चीखों को मैंने सुना, जो इस महिला के शिकार हए थे और इंसाफ की दुहाई दे रहे थे”
गुरुजी हर किसी के बीते हुए— कल के बारे में भी जानते हैं और उस बीते हुए कल की आवाजें भी सुन सकते हैं। उनके साथ न्याय भी करते हैं, जिन्हें किसी ने नुकसान पहुंचाया हो।