कृष्णा नामक नवयुवती, पंडित रामकुमार की भांजी को बार-बार दौरे पड़ते थे। दौरों के दौरान वह अक्रामक (Violent Behaviour) हो जाती थी। उसका परिवार उसके इस व्यवहार से बहुत परेशान था। उन्होंने कुछ लोगों से इस समस्या के समाधान की बात की तो किसी ने पंडित रामकुमार को उसे गुड़गाँव वाले गुरुजी के पास ले जाने की सलाह दी और आश्वासन दिया कि गुरुजी उसे बिलकुल ठीक कर देंगे।
अतः वह कृष्णा को लेकर गुरुजी के पास चले गये और थोड़े ही समय में, वह लगभग 70% ठीक हो गई। उन्हें कभी ऐसी उम्मीद नहीं थी। इसके बाद वह परिवार गुरुजी के पास लगातार आने लगा।
कुछ महीने ही बीते कि कृष्णा की सेहत दिन-ब-दिन अच्छी होने लगी। एक दिन गुरुजी ने उसके परिवार वालों से कहा कि उस पर एक जबरदस्त आक्रमण (Severe Attack) होने वाला है, अतः उन्हें आदेश दिया कि ऐसा होने पर तुरन्त उन्हें इसकी सूचना दें ताकि वे वहाँ आ जायें।
आखिर वो समय आ ही गया जब कृष्णा ने अपना नियन्त्रण खो दिया। लड़की की यह दशा देख, रामकुमार की पत्नी निराश हो गई और उसकी इस बरी दशा को देखकर चिल्ला-चिल्ला कर गुरुजी को इसके लिए दोषी ठहराने लगी। वह बोली, पहले भी ये अपना नियन्त्रण खो देती थी लेकिन इतना अधिक कभी भी नहीं। वह चिल्लाई, “गुरू को बुलाओ, हमें हमारी लड़की जैसे पहले थी वैसी ही कर दे। …हमें इसे ठीक नहीं कराना है” और वह चिल्लाते-चिल्लाते मूर्छित हो गई।
कृष्णा बिलकुल पागलों की तरह व्यवहार कर रही थी। वह अपना पूरा नियन्त्रण खो चुकी थी। उस पतली और नाजुक सी लड़की में इतनी ताकत आ गई थी कि यदि दस व्यक्ति भी उसके नज़दीक आ जायें तो भी वह उन्हें मारने में सक्षम थी। उसकी मार इतनी ताकतवर थी जो किसी से बरदाश्त नहीं हो पा रही थी। इसलिये कोई भी उसके नजदीक नहीं आ रहा था। हर कोई उससे डरा हुआ था और उससे दूर भाग रहा था। वह अकेली ही पूरे परिवार पर भारी पड़ रही थी। अतः गुरुजी को इसकी सूचना दे दी गई।
जैसे ही गुरूजी ने उनके घर में प्रवेश किया और कृष्णा को देखा तथा उसके सिर पर अपना हाथ रखा वह बिलकुल अपनी साधारण अवस्था में आ गई जैसा कि एक आम व्यक्ति होता है। गुरूजी ने ऐसा चमत्कार किया, जिसकी कोई उम्मीद नहीं थी। रामकुमार की पत्नी अपने आप को बहुत शर्मिन्दा महसूस कर रही थी और अपने उन शब्दों के लिये जो उसने थोड़ी देर पहले कहे थे, माफी मांगने लगी। । आने वाले समय में वे दोनों पति-पत्नी गुरुजी के अच्छे भक्त बनें और आज भी हैं।
कृष्णा के साथ गुरूजी ने ऐसा क्या किया…? सिर्फ उसके सामने खड़े ही तो थे…!! उन्होंने उसके सिर पर हाथ रखा ही था कि उसका अक्रामक व्यवहार एक मिनट में शांत हो गया। हालाकि उसके परिवार के सभी स्त्री-पुरुष मिलकर भी, उसे 1% भी काबू में नहीं कर सके थे, उसे गुरुजी ने बिना समय लगाये देखने भर से ही काबू में कर लिया। मैं गुरुजी से प्रार्थना करता हूँ कि वे मुझे वह दृष्टि दें, जिससे मैं उनके द्वारा किये गये कार्यो को समझ सकू। हे गुरुदेव……….., मुझे ऐसा वरदान दो कि मैं आपका और आपके ईश्वर भक्ति के पथ का मनन कर सकू।
आप तो कृपा निदान हैं
…साहेब।