बहुत से बच्चे, जिनमें इन्द्रा, बिन्दु, परवानु की इला गुप्ता, रेनु, बब्बा, छुटकी, पप्पू, इन्दु, रूबी, राहुल तथा और भी बहुत से बच्चों को अपने साथ लेकर गुरुजी मद्रास गये।
सभी लोग, मौज-मस्ती के लिए समुद्र के किनारे (Beach) पर गये। सभी बच्चों ने समुद्र में नहाना शुरु कर दिया। तभी इन्द्रा के दिमाग में एक विचार आया कि “सभी लोग कहते हैं कि गुरुजी भगवान हैं। तो क्या यह समुद्र भी गुरूजी के चरण छूने आयेगा?”
उस समय गुरुजी समुद्र से करीब पचास फुट की दूरी पर खड़े थे, उसके दिमाग में विचार आते ही समुद्र में एक ऊंची लहर उठी और लगभग पचास फुट से अधिक की दूरी तय कर, गुरुजी के चरण छूकर आगे निकल गयी और गुरुजी के टखनों को भिगोती हुई वापिस चली गई। फिर कोई दूसरी लहर वहाँ तक नहीं पहुंची जबकि सभी लोग वहाँ पर करीब एक घण्टा और रुके थे।
मुझे पूर्ण विश्वास है कि ऐसा अचानक नहीं हुआ था। मैं और पाठक, उनके कृपापात्र हैं। विचार भगवान की इच्छा से ही दिमाग में आते हैं और समुद्र भगवान का ही एक अंश है। गुरुजी और भगवान एक ही हैं। भगवान ने ही इन्द्रा के दिमाग में विचार डाला होगा
और गुरुजी का असली रुप दिखाकर, सभी बच्चों को विशेषकर इन्द्रा को गुरुभक्ति में सुदृढ़ कर दिया। समुद्र ने, गुरूजी के चरण छूकर निम्न-लिखित बातों को साबित कर दिया कि—–
समुद्र ने, इन्द्रा के दिल की बात सुन ली थी। गुरूजी की सत्यता, साबित की।
गुरुजी और भगवान में विश्वास के प्रति जिज्ञासु लोगों के मन को मजबूती प्रदान की।
गुरूजी कौन हैं…………? पाठक इसका निर्णय स्वयं ले सकते है।
आध्यात्म मार्ग में कोई पूछताछ अगर वह गुरुजी व गुरू भक्ति से सम्बन्धित है तो उसका स्वागत है।
लेखक कोई ज्ञानी नहीं है किन्तु वह गुरुजी का शिष्य है और उसने सिर्फ वही लिखा है जो उसने देखा अथवा गुरुजी के चन्द सच्चे बच्चों के मुख से सुना। लेखक उस सच्चाई और ज्ञान से परिपूर्ण है, जो उसे गुरूजी से प्राप्त हुआ।
यह न तो कोई कहानी ही है और
न ही कोई मिथ्या कथा।
मन में इस दृश्य की कल्पना करो…
…और आनन्द लो।