एफ. सी. शर्मा जी, गुरुजी के प्रारम्भिक शिष्यों में से एक हैं और आज भी उन्हीं के साथ जुड़े हुए हैं। उनकी धर्मपत्नी भी धार्मिक विचारों वाली हैं। वे अपना अधिकतर समय अपने घर में ही सेवा के लिये बिताते हैं। सभी बड़े दिन, जैसे गुरु पूर्णिमा, महाशिवरात्रि, गणेश चतुर्थी और बड़े वीरवार पर गुड़गाँव आकर सेवा करते हैं। लोग उन्हें पूरा सम्मान देते हैं और उनसे गुरुकृपा माँगते है। चन्दरभान, एफ. सी. शर्मा जी का एक नज़दीकी दोस्त है। एक दिन उसने शर्माजी से प्रार्थना की कि वे गुरुजी को अपने साथ लेकर उनके घर आयें। शर्मा जी ने उसे आशीर्वाद दिया और गुरुजी को साथ लेकर उसके घर गये।
तब उसकी पत्नी गर्भवती थी और गुरूजी को अपने घर में देख वह बहुत खुश हुई तथा उसने गुरुजी के लिए चाय बनाई और बड़े भक्तिभाव से उनके समक्ष लेकर आयी। मैं नहीं कह सकता क्यों…, लेकिन गुरुजी भी बहुत खुश हुए।
गुरुजी ने उसकी तरफ देखा और कहा, “कल सुबह आठ बजे तुम्हें एक पुत्र की प्राप्ति होगी।”
उस दिन 7 जुलाई 1974 का दिन था। अगले दिन, 8 जुलाई 1974 को, सुबह के ठीक आठ बजे ही उसने एक खूबसूरत पुत्र को जन्म दिया। उन्होंने उस लड़के का नाम विकास रखा और अब वह लगभग 35 वर्ष का है। वह खुशहाल है और अपने माता-पिता की सेवा करता है।
जब मैं शर्माजी के नये घर में गृह प्रवेश के अवसर पर गया तो वहाँ चन्दर भान अपने पुत्र को लेकर आया और मुस्काराते हुए मुझे प्रणाम किया तथा कहने लगा कि यह देखो……, गुरुजी ने मुझे मेरे जीवन का ये खूबसूरत उपहार दिया है।
विकास वाकई गुरुजी द्वारा दिया गया एक खूबसूरत उपहार है और अपने माँ-बाप की सेवा करने वाला है।
आप धन्य हैं गुरुजी, आप त्रिलोकी नाथ की तरह सिर्फ देने वाले हैं।
प्रणाम साहेब जी……….!!