गुरुपूर्णिमा का समय था। मुम्बई से ‘वीरजी’ के नेतृत्व में मुम्बई स्थान के लोगों के एक ग्रुप में दिनेश भंडारे जो आध्यात्मिक ज्ञान का जिज्ञासु था, अपने दिमाग में सिर्फ एक ही विचार लेकर आया था कि वह जान सके कि गुरुजी कौन हैं और गुड़गाँव स्थान पर ऐसा क्या होता है कि मुम्बई के लोग भागे चले जाते हैं….!!
गुरुपूजा समाप्त हो चुकी थी और बाहर से आये हुए लोग गुरु पूर्णिमा पर, गुरुजी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अपनी-अपनी बारी की प्रतीक्षा कर रहे थे। सभी गुरुजी को अपनी-अपनी व्यक्तिगत समस्यायें बता रहे थे और गुरुजी उनकी समस्यायें सुनकर, उन्हें उनकी समस्याओं से मुक्ति प्रदान कर रहे थे।
तभी मुम्बई ग्रुप के दो दोस्त, दिनेश तथा केलकर की बारी आ गई। गुरुजी को अपनी समस्या बताने के लिए केलकर ने गुरुजी को प्रणाम किया और कहा, “गुरुजी, मेरी बेटी बहुत बीमार है।” गुरुजी ने उससे पूछा कि क्या तुम उसे अपने साथ लाये हो? वह बोला, “नहीं गुरुजी, वह तो पूना में है।” गुरूजी ने उसकी फोटो दिखाने के लिए कहा, तो वह दौड़ कर ‘वीरजी’ के पास गया क्योंकि उसने उसकी फोटो मुम्बई में उनको दी थी।
जल्दी-जल्दी उनसे, वह पोलीबैग ले आया जिसमें सब लोगों की दर्जनों फोटो रखी थी। जैसे ही उस पोलीबैग में से अपनी लड़की की फोटो ढूंढने के लिए उसे खोला तभी गुरुजी ने उसके हाथ से वह पोलीबैग ले लिया और अपने हाथ से उसमें से एक फोटो निकाली और बिना देखे ही केलकर को दिखाते हुए कहा—
“क्या यही तुम्हारी बेटी का फोटो है…?” कमाल है— दिनेश और केलकर, एक दूसरे को आश्चर्य चकित होकर देखने लगे। यह उनके जीवन का बहुत बड़ा आश्चर्य था। यह कैसे सम्भव हो गया कि गुरुजी ने बिना देखे बैग में हाथ डाला और केलकर की बेटी की ही फोटो बाहर निकाल ली जबकि उसमें दर्जनों फोटो और रखी हुई थीं? “यह एक असम्भव सा कार्य था।”
दिनेश भंडारे, जो यह जानने के लिये ही आया था कि गुरू जी कौन है और स्थान क्या है, एक ही पल में सारी ज़िन्दगी के लिए अपनी पहचान गवां बैठा। यही वो व्यक्ति था जिसने बाद में यह घोषणा की–
“एक ईमानदारी और एक गुरुदेव का हाथ हो सिर पर, जिन्दगी अपने आप चलेगी।”
स्पष्ट है कि— या तो गुरुजी की एक अतिरिक्त आँख, उनके हाथ में लगी हुई थी जिससे उन्होंने उस लड़की की फोटो को पहचाना या फिर उस लड़की की फोटो उन सब फोटो में से उछलकर गुरुजी की चमत्कारी उंगलियों में अपने आप आ गयी।
ये मेरी समझ से तो बाहर है नहीं तो किसी आम व्यक्ति के लिए पोलीबैग में लगभग तीस से भी ज्यादा फोटो में से वही फोटो निकालना ‘ना-मुमकिन’ है।
आप ही बतायें……
हे गुरुदेव……!!