उस समय के कुछ दुर्लभ क्षण जब गुरुदेव ने मानव रूप को सुशोभित किया था। व्यक्तिगत घटनाओं को पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें।

– (श्री राजपॉल सेखरी द्वारा लिखित – गुरुदेव के प्रमुख शिष्यों में से एक)

लेखक की कलम से

अविश्वस्नीय झलकियों के भाग-1 व भाग-2 में कुछ झलकियाँ प्रकाशित एवं वितरित करने के बाद कुछ और ऐसी झलकियाँ मुझे स्मरण हो आईं, जिन्हें मेरे सुपर मॉस्टर गुरूजी ने इस…

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103. जब गुरुजी ने मुझे बिना शर्त आत्म समर्पण का वरदान दिया।

गुरुजी ने मुझसे पूछा, “…..राज्जे, दो और दो कितने होते हैं?” मैंने उत्तर दिया, “गुरुजी, चार।” गुरूजी बोले, “……नहीं बेटा, पाँच होते हैं।” मैंने सहमति से हाँ कहा और बोला,…

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104. जब गुरूजी का एक प्रारम्भिक शिष्य, गर्दन और गले की समस्या से बीमार पड़ गया।

गुरुजी के एक बहुत पिय शिष्य से सम्बन्धित यह उपकथा (Episode) वर्णित है। गुरुजी ने उसके घर में स्थान बनाया है और बड़े वीरवार को छोड़कर, बाकी दिन सेवा करने…

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105. जब गुड़गाँव स्थान पर गुरुजी के पैर दबाते हुए, मैंने उन्हे काट लिया।

दोपहर का समय था और मैं गुरुजी के दर्शन करने गुड़गाँव गया। गुरुजी अपने कमरे में थे और लाईन में खड़े हुए लोगों को आशीर्वाद दे रहे थे। उन्हें प्रणाम…

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106. जब गुरुजी ने कानपुर की गुडुन को ठीक किया।

सन् 1975 की बात हैं जब एक सरकारी अधिकारी (Government Officer) ने अपनी व्यक्तिगत समस्या अपने सहयोगी के सामने रखी। मि. श्रीवास्तव ने मि. दत्ता से, अपने दुख का कारण…

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107. जब सोमवार उपवास के दिन, छोले-कुल्चे खाने का मन में विचार आया।

एक बार गुरुजी बहुत से बच्चों, जिनमें इन्द्रा, जो उन्हीं के परिवार की सदस्या है तथा अन्य शिष्यों को लेकर कुल्लू जा रहे थे। सभी लोग करीब सात या आठ…

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108. गुरुजी सर्वव्यापक हैं। एक बच्चा जो नये स्कूल में गया था उसकी आत्मा की पुकार सुनी।

एक चमत्कार हुआ, जब एक बच्चा, जिसने गुरुजी को दिल से पुकारा और अपनी इच्छा व्यक्त की तो गुरुजी ने बिना समय लगाये उसी समय उसकी इच्छा पूर्ण कर दी।…

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109. गुरुजी नागपुर में थे टेलीफोन पर बात कर रहे थे जबकि दरवाजे पर बाहर से ताला लगा था।

गुरुजी नागपुर में जब अपने ऑफिश्यिल टूअर पर थे तो उन दिनों दूर संचार के लिए, केवल स्थाई टेलीफोन (Land Line Telephone) ही उपलब्ध था। यह उपकथा वहीं पर घटित…

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110. जब सतनाम सिंह उर्फ मंगा का एक्सीडेन्ट हुआ और डॉक्टर ने कहा बचने की कोई उम्मीद नहीं है।

सतनाम सिंह उर्फ मंगा की दिल्ली में एक वर्कशाप थी। वह अपनी खराद मशीन पर भारी-भारी मशीनों के पुर्जे बनाने का काम किया करता था। एक बार जब वह अपनी…

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111. जब गुरुजी चामुण्डा दर्शन के लिये मुझे और अन्य शिष्यों को मैसूर लेकर गये।

गुरुजी मुझे तथा कुछ अन्य शिष्यों को, कुछ दिनों के लिये बैंगलौर ले गये। कुछ दिन बाद किसी शिष्य ने गुरुजी से मैसूर के चामुण्डा मंदिर के दर्शन करने की…

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112. जब एक महिला दस साल पहले गुरुजी के सामने की गई गलती की माफी माँगने, मेरे पास आई।

गुड़गाँव स्थान पर मैं सेवा कर रहा था। वहाँ पर बहुत से लोग थे। सबसे अन्त में एक महिला अपनी एक विचित्र सी समस्या लेकर, मेरे पास आई और कहने…

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113. जब गुरुजी ने मुझे गाली देकर छेड़ते हुए कहा “YOU IDIOT” अब तू गुरू को भी आशीर्वाद देगा?

पंजाबी बाग में सेवा का दिन था। बहुत से लोग एकत्र हुए थे और वह एक-एक करके आशीर्वाद लेने के लिये मेरे पास आ रहे थे। लोगों को इस तरह…

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114. जब गुरुजी ने ‘महाशिवरात्रि’ और ‘गुरुपूर्णिमा’ पर आने वाले भक्तजनों के लिए लंगर सेवा प्रारम्भ की।

सत्तर के दशक के अन्त में गुरूजी ने गुड़गाँव स्थान पर लंगर सेवा शुरु की। बहुत से लोग, जो दूर दराज़ के गाँव अथवा शहरों में रहते थे, जिन्हें गुरुजी…

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115. जब माताजी ने एक पतीला दाल बनाई और उसमें एक बड़ा चम्मच नमक डाला।

सत्तर के दशक के अन्त की बात है। जब मैं रविवार के दिन गुरुजी का आशीर्वाद लेने गुडगाँव जाता था और शाम तक उस नये अविश्वस्नीय माहौल में, वहाँ रहता…

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116. हम सब शिष्यों के बीच में से जब गुरुजी को एक महात्मा ने एक नज़र में ही पहचान लिया।

गुरुजी के पास लोग, अक्सर अपनी समस्याओं तथा दुख एवम् पीड़ा निवृति के लिये आते थे। किन्तु कभी-कभी कोई सन्त महात्मा लोग भी गुरूजी से आशीर्वाद लेने आ जाते थे।…

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117. जब मैं गुरुजी के कमरे में उनके चरणों की सेवा कर रहा था, तो महसूस हुआ कि उनकी बाँयी टाँग अति नरम थी।

मेरी जिन्दगी का यह एक बहुत बड़ा चमत्कार था जो 101% मेरी समझ से परे था। वास्तव में हमारे धर्मग्रन्थ, जैसे ‘शिवपुराण’ का अध्ययन करें तो उसमें इस तरह का…

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118. जब गुरुजी के साथ लॉस-ऐंजलिस एअरपोर्ट पहुँचे और कृष्ण कुमार हमें लेने आया।

सैन-फ्रांसिसको एअरपोर्ट पर गुरुजी तथा माताजी के साथ संतलाल जी, बतरा बक्शी, मैं तथा कुछ अन्य गुरुशिष्य थे। हमें लॉस-ऐंजलिस के लिये फ्लाईट लेनी थी। संयोगवश मैं वहाँ रखे हुए…

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119. जब गुरुजी ने कहा कि अरुण कुमार ने ग्राहक को जो फनीचर दिया है उसमें दीमक नहीं है।

सन् 1990 की बात है। गुरुजी ने एक अद्भुत रचना रची। अरुण कुमार की कीर्तिनगर में फर्नीचर की फैक्ट्री है। वह पंजाबी बाग में बैठा, स्थान की बैठक और सोने…

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120. जब गुरूजी ने कहा कि उसकी दोनों किडनियाँ ठीक हैं

सन् 2005 की बात है। मैं पंजाबी बाग स्थान पर बैठा, सेवा कर रहा था। एक दम्पति अपने दो व्यस्क बेटों को लेकर मेरे पास आये। उन्होंने मुझसे उन्हें आशीर्वाद…

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121. जब मैं अपनी फैक्ट्री, हरियाणा से दिल्ली, स्थानांत्रित कराना चाहता था।

गुरूजी अपने कुछ शिष्यों के साथ, ईस्ट पटेल नगर की सड़क के किनारे खड़े होकर उन्हें आध्यात्मिक ज्ञान दे रहे थे। वह रात का समय था। मेरे ‘सुपर मॉस्टर’ गुरूजी…

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122. देवेन्द्र जैन ने लंदन एयरपोर्ट पर गुरुजी से कैमी साबुन अपने सामान में साथ ले जाने की प्रार्थना की।

गुरुजी ने अपना अमेरिका और यूरोप का टुअर, श्री आर. पी. शर्मा, डी. एस. जैन, बक्शी बतरा, देवेन्द्र जैन तथा कई अन्य शिष्यों के साथ पूर्ण किया। एयरपोर्ट की बात…

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123. संतलाल जी की गुरुजी के साथ, मनीकरण से ऊपर की अविस्मरणीय यात्रा।

एक बार गुरुजी संतलाल जी को लेकर मनीकरण गये। मनीकरण हिमाचल प्रदेश का एक पवित्र तीर्थ स्थल है। यहाँ पार्वती नदी, अपने अत्याधिक ठण्डे पानी के साथ बहती है और…

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124. जब गुरुजी ने मुम्बई में एक पारसी लड़की को ठीक किया।

दुबारा, एक बार फिर मुम्बई में.., शाम को सेवा शुरु हुई। दिन में गुरूजी अपने शिष्यों को साथ लेकर कुछ परिवारों के घर गये थे क्योंकि उनके घरों में उनकी…

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126. गुरु जी दुअर पर गये थे और माताजी कमरों में ताले लगाकर बच्चों के साथ छत पर सोने चली गई थी।

हमेशा की तरह गुरुजी अपने ऑफिश्यिल टुअर पर बाहर गये हुए थे। रात हुई और सभी कमरों के ताले लगाकर माताजी बच्चों को लेकर स्थान की छत पर सोने चली…

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127. हरियाणा आटो के मि. गुप्ता, जब अपनी फैक्ट्री को दुबारा शुरु करने के लिए मेरे पास मायापुरी आये।

मायापुरी इण्डस्ट्रीयल एरिया में मेरी फैक्ट्री है। इस इण्डस्ट्रीयल ऐरिया में और भी बहुत सी फैक्ट्रियाँ हैं जो विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट्स का निर्माण करती हैं। मेरी फैक्ट्री के ठीक…

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128. जब अपने शिष्य के. सी. कपूर को श्रीमति ऑबराय को आशीर्वाद देने इर्विन अस्पताल भेजा।

जून 1984 की बात है। गुरुजी का गाजियाबाद, ऑबराय की फैक्ट्री में जाने का प्रोग्राम था परन्तु अंतिम समय पर अचानक गुरुजी ने वहाँ जाने का प्रोग्राम स्थगित कर दिया।…

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129. जब गुरुजी ने अपने बेटे बबे को बेसमेन्ट में 108 बाल्टियाँ जल की पहुँचाने का आदेश दिया।

गुरूजी का बेटा बब्बा, उस समय किशोरावस्था में था और बड़े वीरवार के दिन अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने में मस्त था। वह पूजनीय गुरुजी का बड़ा बेटा है…

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130. जब श्री आर. पी. शर्मा बुखार पर तो सहमत थे लेकिन घर और ऑफिस में नहीं।

गुरुजी अपने शिष्य आर.पी. शर्मा जी को बहुत प्यार करते थे। एक बार की बात है कि एक बुखार और जोड़ों के दर्द से ग्रसित एक गम्भीर मरीज़ गुरुजी के…

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131. जब गुरूजी, शाम के समय गुड़गाँव स्थान की छत पर खड़े, आकाश की तरफ देख रहे थे।

एक दिन शाम को मैं गुड़गाँव पहुंचा तो पता चला कि गुरुजी छत पर हैं। मैं भी छत पर चला गया और गुरूजी के दर्शन पाकर आनन्दित हो गया। उन्होंने…

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132. जब मैं गुरूजी के दर्शन करने के लिए गुड़गाँव गया तो सेवादार पूरन ने मुझे गुरूजी से मिलने से रोक दिया।

अस्सी के दशक के अन्त की बात है एक शाम हमेशा की तरह मैं गुरुजी के दर्शन करने हेतु गुड़गाँव गया। इससे पहले कि मैं गुरुजी के कमरे की तरफ…

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133. गुरुजी ने अपने अनूठे अन्दाज़ में संदेश देकर, बब्बू को सड़क पर रोका।

मनुष्यों में यह एक आम स्वाभाविक प्रवृति है कि वे चमत्कार देखकर उससे बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं। एक बार बब्बू अपने स्कूटर पर तेजी से फैक्ट्री जा रहा…

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134. जब एक बैंक कर्मचारी को उल्टी में हरी मिर्च निकली।

सत्तर के दशक के उत्तरार्ध से लगातार, पंजाबी बाग स्थान पर गुरुजी के आदेश व आध्यात्मिक नियन्त्रण में सेवा होती चली आ रही है। लोग अपने दुख व समस्यायें लेकर…

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135. जब गुरूजी ने लाजपत नगर की नीलम जो ब्लड कैंसर से पीड़ित थी, को प्रसाद की फुल्लियाँ दी।

लाजपत नगर में रहने वाली नीलम, एक आर्किटेक्ट की पत्नी जिसे ब्लड़ कैंसर था, बड़े वीरवार के दिन गुड़गाँव पहुंची। उसने गुरुजी से इस बीमारी को ठीक करने के लिये…

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136. जब गुरुजी ने मुझे मोहन सिंह पैलेस में लस्सी पिलाई।

एक दिन सुबह अपने शोरुम जाने से पहले उनके दर्शन करने के लिए मैंने गाड़ी गुरूजी के ऑफिस की तरफ मोड़ दी। गुरुजी को वहाँ पाकर मेरा मन गद्गद् हो…

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139. जब गुरूजी ने अपने शिष्य आर. सी. मल्होत्रा जी के अन्दर छिपी धन की चाहत को समाप्त कर दिया।

स्वयं की भावनाओं पर नियन्त्रण और अपनी इच्छाओं को सदैव सम्पूर्णतयाः वश में रखने वाले गुरुजी, अपने शिष्यों को बहुत प्यार करते थे। वे उन्हें भी अपने जैसा बनाना चाहते…

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140. जब मेरे ड्राईवर ने कहा कि कार में जिन्दा साँप है तो गुरुजी ने बिना समय लगाये सच्चाई का पता लगा लिया।

शायद सन् 1980 की बात है। मैं नहा रहा था कि अचानक मेरी पत्नी ने दरवाजा खटखटाया। असल में वह डर गई थी और यह जानकर सन्तुष्ट होना चाहती थी…

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141. जब सन्नी कत्याल की पुरानी सिरदर्द गुरुजी के एक अद्भुत क्रिया से बिलकुल ठीक हो गई।

गुड़गाँव का सन्नी कत्याल, जो बिटू कत्याल का छोटा भाई है, बहुत लम्बे समय से सिरदर्द से परेशान था। उसे जल्दी-जल्दी सिरदर्द होती थी और गुरुजी उसको ठीक कर देते…

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142. गुरुजी की तस्वीर स्कूल प्रिंसीपल के ऑफिस की दीवार पर लगी थी लेकिन वह गुरुजी के बारे में कुछ नहीं जानता था।

एक दम्पति अपने बच्चे के दाखिले के लिये एक स्कूल में गये। जब वह प्रिंसीपल के ऑफिस में पहुंचे तो दीवार पर लगी गुरूजी की तस्वीर को देख कर प्रसन्न…

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143. जब कृष्ण कुमार साहनी और उसकी पत्नी स्वर्ण से, गुरुजी गोल मार्किट में मिले ।

यह पता लगने के बाद कि गुरुजी, गोल मार्किट में स्थित बक्शी बतरा जी के घर पर हैं, कृष्ण कुमार अपनी पत्नी को साथ लेकर गुरुजी के दर्शन करने के…

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144. जब सेना के जनरल जगदीश अपने बच्चों के लिये कानूनी संरक्षण का अधिकार माँगा।

एक बार पंजाबी बाग में सेवा करते समय एक खूबसूरत नौजवान मेरे पास आया और मुझसे अकेले में बात करने की प्रार्थना की। उसे अपने साथ लेकर मैं ड्राईंग रुम…

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145. जब एक रात में गुरुजी ने ‘वीरजी’ की भांजी के चेहरे का मुहासा दूर कर दिया।

गुरुजी गुड़गाँव में थे और अचानक एक गम्भीर समस्या मुम्बई में गुरुशिष्य ‘वीरजी’ के परिवार में आ गयी। ‘गुरुशिष्य वीरजी’ की भाँजी ने आत्महत्या करने की धमकी दे डाली थी।…

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146. जब गुरूजी ओ. पी. आहूजा से बोले कि वे इस व्यक्ति का इन्तजार पाँच साल से कर रहे थे।

ओ. पी. आहूजा, आयकर विभाग में एक अधिकारी के पद पर कार्य करता था। वह गुरुजी के पास आया और बोला, “गुरुजी, मेरे विभाग में एक ऑफिसर है जिसका नाम…

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147. जब शिष्यों ने लंदन में खरीदारी की और गुरुजी ने पाउण्ड्स में उसका भुगतान किया।

गुरुजी अपने शिष्यों, जिनमें श्री आर. पी. शर्मा, सबरवाल, सरदार बक्शी तथा कुछ और भी शिष्य थे, को लेकर लंदन गये हुए थे। एक डॉक्टर जो ब्लैक पूल में रहता…

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148. जब बड़े वीरवार के दिन मध्यान्तर के दौरान, रवि त्रेहन के लिए गाना गाने के बाद, मैं बोल भी नहीं सका।

अस्सी के दशक की शुरुआत की बात है। गुड़गाँव स्थान पर असंख्य लोग थे और सम्पूर्ण वातावरण में सिर्फ एक ही आवाज सुनाई दे रही थी और वह थी ‘गुरुजी’।…

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149. एक संसारिक रुप में गुरुजी, “मर्यादा पुरुषोत्तम”

अस्सी के दशक के मध्य की बात है जब गुड़गाँव के सैक्टर-7 पर गुरुजी के दर्शन के लिये असंख्य लोगों की भीड़ चरम सीमा तक पहुंच गयी थी। रोजाना सुबह…

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150. मेरे एक मित्र की बहन नाजी, जो लगातार सिरदर्द व नींद न आने की बीमारी से ग्रसित थी।

मेरे बचपन के दोस्त को पता चला कि गुड़गाँव वाले महान गुरूजी ने मुझे अपना शिष्य बनाया है। वह मेरी पत्नी ‘गुलशन’ के भी बहुत करीब था, उसने अपनी परेशानी…

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151. जब मुम्बई के दिनेश ने 1989 में अपने सीनियर स्टॉफ की शिकायत, गुरूजी से की।

मुम्बई के रहने वाले भक्तजन गुड़गाँव आकर, गुरुजी का आशीर्वाद लेने की ‘महाशिवरात्रि’ और ‘गुरु पूर्णिमा’ का बेसब्री से प्रतीक्षा करते थे। दिनेश भंडारे भी, ‘सुपर लार्ड’ का इन्तजार करने…

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152. जब गुरुजी ने एफ. सी. शर्मा जी को बाहर सड़क पर गुरु दर्शन के लिए लाईन में खड़े भक्तजनों की परिक्रमा करने के लिए कहा।

गुड़गाँव के सैक्टर 7, के स्थान के बाहर सड़क पर गुरुजी के दर्शन के लिए, अनगिनत लोग लाइन में खड़े थे। स्थान के पीछे सड़क और फुटपाथ को अलग रखने…

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