एक बार की बात है कि गुरुजी, माताजी के साथ अपने कमरे में बैठे थे। कोई व्यक्ति आया और उनसे अपने भाई, जो तेज पेट-दर्द से कराह रहा था, उसको ठीक करने और आशीर्वाद देने की प्रार्थना करने लगा।
गुरुजी उस समय, एक अलग ही मूड में बैठे थे। कहने लगे— ”अपनी घड़ी में समय देखो और अब अपने पेट को छुओ…” उसने वैसा ही किया। गुरुजी बोले— ”अब तुम घर जाओ और देखो कि तुम्हारा भाई अब बिलकुल ठीक है।”
वह व्यक्ति, अपने घर चला गया, तो उसने देखा कि उसका भाई तो बिलकुल ठीक था। घरवालों ने बताया, जिस समय तुमने फोन पर पूछा था, उस समय के बाद, ये बिलकुल ठीक हो गया….!!
यह कैसे हो गया……?
हमारे गुरुजी ने, ऐसा क्या किया? यह एक अविश्वस्नीय कार्य था।
…ये सब मेरे देखते-देखते हुआ। इसका हमारे पास कोई जवाब नहीं है।