गुड़गाँव स्थान पर, गुड़गांव के एक उद्योगपति का जवान बेटा, जो प्रेत-ग्रसित था, अपने पिता के साथ आया और आते ही अव्यवहारिक बर्ताव करना शुरु कर दिया। वह ऐसे बर्ताव कर रहा था जैसे वहाँ स्वयं मौजूद न हो बल्कि उसके अन्दर से कोई दूसरा व्यक्ति बात कर रहा हो। वह अपनी गद्रन को झटके दे रहा था, अपनी बाजुओं को अकड़ा रहा था तथा अपनी उंगलियों को बार-बार ऐसे मरोड़ रहा था, जैसे वह कोई दिमागी मरीज़ हो।
गुरुजी ने उसके सिर को पकड़ा और उसके माथे पर स्ट्रोक्स (Strokes) लगाने ही वाले थे कि उसके अन्दर बसी दूसरी आत्मा ने, गुरुजी से इन्साफ की दुहाई देते हुए कहा, “गुरुजी, आप तो गुरू हैं मुझे मारने से पहले मेरा कसूर बता दीजिये…” वह आगे बोला, “इसने मेरे साथ क्या किया है वह भी देख लीजिए और फिर इन्साफ कीजिए। उसके बाद जो मेरे लिये हुक्म होगा, मैं वैसा ही करुंगा।” उस परिवार के जाने के बाद मैंने गुरुजी से पूछा, “गुरुजी, उस लड़के के माध्यम से वह आत्मा क्या कहना चाह रही थी…? वह उस लड़के के प्रति किस न्याय-अन्याय की बात कर रही थी…!! कोई विशेष कारण ही रहा होगा जिसके लिए आपने उसे ठीक नहीं किया। ऐसी वजह क्या थी। वैसे उसे ठीक करना तो आपके लिए मिनटों-सैकिण्डों का काम था।” कृप्या इस पर प्रकाश डालिए…
गुरूजी बोले—-
“बेटा जो आत्मा उस के माध्यम से बोल रही थी, वह उसकी ही फैक्ट्री में काम करने वाले एक कर्मचारी की थी। जो पिछले हफ्ते ही एक एक्सीडेन्ट में मर गया था। मौत के बाद, उस कर्मचारी की पत्नी, फैक्ट्री गई थी और उसने मालिक से कुछ आर्थिक सहायता मांगी थी। इस लड़के ने कहा कि उसके पति का इन्शोरेन्स है इसलिये उसके प्रति, इस फैक्ट्री की कोई ज़िम्मेदारी नहीं बनती है। अतः हर्जाने के लिए वह इन्शोरेन्स कम्पनी जाये न कि उनके पास आये।” वह महिला बोली, “इन्शोरेन्स कम्पनी से हर्जाने का क्लेम मिलने में तो काफी समय लग जायेगा लेकिन उसको अपने बच्चों के भरण-पोषण के लिये पैसों की अभी आवश्यकता है।”
उस महिला ने यह भी कहा, “कि वह आपके पास, इस वजह से भी आई है कि उसका पति पिछले दस सालों से आपके पास काम करता था और पिछले दस सालों में मेरे पति तथा आपके बीच, एक कर्मचारी और मालिक का रिश्ता था। इसीलिए मैंने आपसे आर्थिक मदद की प्रार्थना की है।”
इतना सुनकर वह लड़का गुस्से में आ गया और उसने चपरासी को बुलाकर उसे वहाँ से बाहर निकाल दिया। उस समय उसके पति की आत्मा, वहीं पर मौजूद थी। उसे मालिक के लड़के का अपनी पत्नी के प्रति, यह कठोर व रुखा व्यवहार बर्दाश्त नहीं हुआ और वह उस लड़के के शरीर में प्रवेश कर गयी। बस यही एक कारण था।”
गुरुजी आगे बोले—- “अब वह आत्मा चाहती है कि उस लड़के को दण्ड मिले। वह आत्मा उसके शरीर से बाहर निकलने से पहले, मुझसे न्याय चाहती है इसीलिये उसने मुझसे इन्साफ की गुहार लगाई थी।”
गुरुजी ने बताया—
“वह आत्मा मेरे आदेश पर उस लड़के को कुछ दिनों के बाद छोड़ तो देगी लेकिन इससे पहले मुझे उस आत्मा के लिए भी कुछ करना होगा। क्योंकि मैं गुरु हूँ…, अतः इस नाते मुझे उसके साथ भी न्याय करना है। इसलिए इस लड़के को अभी कुछ दिनों तक इसी परिस्थिति से गुजरना होगा।” लगभग एक हफ्ते के बाद वह लड़का पुन: पहले जैसा सामान्य हो गया।
इस घटना का मैं स्वयं साक्षी हूँ। इसके बारे में यदि किसी जिज्ञासु को कोई अन्य जानकारी, आध्यात्मिक ज्ञान के बारे में और या फिर गुरुजी से सम्बन्धित हो और अधिक जानना चाहें, तो मैं हाजिर हूँ। जाहिर है कि आत्मा का गुरुजी में विश्वास रखना, यह प्रमाणित करता है कि गुरुजी व भगवान एक ही हैं।
मेरी आपसे प्रार्थना है, कि हे गुरुदेव…
मेरा प्रणाम स्वीकार कीजिए…।।