प्रत्येक बड़े वीरवार के दिन, गुरूजी से आशीर्वाद लेने वाले लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती ही चली जा रही थी। इस तरह दिन-ब-दिन लोगों की बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए, गुरुजी ने बुद्धवार की रात्रि से ही ‘बड़े वीरवार’ की सेवा करनी शुरु कर दी थी।
गुरूजी ने यह निर्णय इसलिए भी लिया था कि अगले दिन सुबह, ‘बड़े वीरवार’ को लाईन में अपनी बारी का इन्तजार करने वाले भक्तों को कुछ सुविधा हो सके।
यह अक्टूबर 1984 की बात है, जब प्रधानमन्त्री श्रीमति इंदिरा गाँधी की हत्या हो गई।
गुरूजी ने मुझे ये आदेश दिया कि मैं लोगों को यह सूचित करूं कि वे लोग आज अपने-अपने घर वापिस चले जाएं। कल सुबह ‘बड़े वीरवार’ की सेवा नहीं होगी। क्योंकि कल सभी सड़कें असुरक्षित होंगी। हर जगह खून खराबा होने वाला है। (बहुत से अनुयायी गुरुजी से आशीर्वाद लेने के लिये, बुद्धवार की रात को ही आ गये थे।) उन अनुयायीओं में से सभी सिख भक्तों को ये कहा गया कि वे अभी रात में ही दिल्ली वापिस चले जायें। क्योंकि गुरूजी ने उनके लिये सख्त हिदायत दी है।
सीताराम जी ने आकर मुझे बताया कि गुरुजी ने कहा है कि कल बड़ी संख्या में खून-खराबा होने वाला है। इसलिए ‘बड़े वीरवार’ की सेवा को अगले महीने के लिए स्थगित कर दिया है। अतः सभी लोग वापिस चले गये।
हम सब अच्छी तरह से जानते हैं कि अगले दिन क्या आतंक मचा। पूरा जंगल राज था और सिखों की निर्दयता पूर्ण हत्याएँ हुई और सम्पूर्ण दिल्ली-क्षेत्र लूट और हत्याओं के आगोश में था। गुरूजी को इसका पूर्ण ज्ञान था कि कल क्या होने वाला है। इसीलिए उन्होंने ‘बड़े वीरवार’ की सेवा को स्थगित किया ताकि हज़ारों सिखों की जान बचाई जा सके।