प्रत्येक बड़े-वीरवार से पहले आने वाले बुद्धवार रात को माता जी, सभी शिष्यों और सेवादारों को स्वयं खाना खिलाती थी। मैं भी रात के समय गुड़गाँव पहुंचा और माताजी को प्रणाम किया तो माताजी ने मुझे भी एक दाल-चावल की फुल प्लेट पकड़ा दी। मैंने कहा, “मातारानी जी, जब मैं पंजाबी बाग से चला था तो खाना खाकर ही चला था। कृप्या आप मुझे इसमें से आधा दे दीजिए…।” माताजी ने मुड़कर मेरी तरफ देखा, मुस्कुराई और फिर उसमें से आधे दाल-चावल निकाल कर आधे मुझे दे दिये, जो मैंने खा लिये।
…….हे भगवान…….!!
ये क्या हुआ…..??
दाल-चावल की वह प्लेट समाप्त करते ही मुझे तो बहुत ज़ोर से भूख लगनी शुरु हो गई। मैं माता जी के पास गया और बोला, “मातारानी जी, जो दाल-चावल मैंने वापिस किये थे, कृप्या वो मुझे लौटा दीजिए। उन्होंने वह मुझे दिये और मैं वह भी खा गया।
—–एक अद्भुत चमत्कार हुआ—-
अब तो मेरी भूख, अपनी चरम सीमा तक पहुंच गई। मैंने अपने चारों तरफ बैठे लोगों की तरफ देखा और फिर अपनी खाली प्लेट, माताजी की तरफ बढ़ाते हुए प्रार्थना करने लगा:
“मातारानी जी, मैं दो बार आपसे आधी-आधी प्लेट लेकर खा चुका हूं, लेकिन मेरा पेट अब भी खाली है। भूख है जो बढ़ती ही जा रही है। मैं इस अजीब परिस्थिति को समझ नहीं पा रहा हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि मुझसे कोई बहुत बड़ी भूल हो गई है कि आपने पहले जो फुल प्लेट दाल-चावल की दी थी और मैंने वह प्लेट लेने से मना कर दिया था। इसलिए मातारानी जी, कृप्या आप दुबारा वैसे ही फुल प्लेट दाल-चावल दीजिए जैसी कि आपने पहले दी थी।”
मेरी इस बात पर माता जी मुस्कुराई और उन्होंने मुझे दुबारा वैसे ही फुल प्लेट भर के दे दी। आश्चर्य—
मैं उसे खाकर तृप्त हो गया।
परन्तु सोचने की बात तो यह है कि मैं दाल-चावल की दो फुल-प्लेट खा गया और वह भी पूरा खाना खा चुकने के बाद। मैं पूरी रात बड़े ही आराम से सोया और मुझे बिलकुल भी महसूस नहीं हुआ कि आज मैंने दुगने से ज्यादा खा लिया है।
यदि इन छोटी-छोटी घटनाओं को संसारिक रुप से सोचा जाए तो यह बहुत ही साधारण सी लगती है। लेकिन आध्यात्मिक मार्ग में यही छोटी-छोटी घटनाएं, एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। यह छोटी-छोटी घटनाऐं, एक एक अक्षर के रुप में हैं और अक्षरों के मिलाने से ही शब्द और फिर शब्दों से वाक्य बनते हैं। इन्हीं शब्दों से बने वाक्य ही हमें संदेश देते हैं। इसलिए यह सलाह है कि गुरू के पास होने वाली, इन घटनाओं को गम्भीरता से लें और अपने आध्यात्मिक सफ़र को कामयाबी के साथ तय करें।